Jun 3, 2017

वही चाँदनी है-रिश्ता १९५४

एक पुराना गीत सुनते हैं पचास के दशक से. इसे गाया
है तलत महमूद ने. पंडित फणि इसके रचनाकार हैं और
संगीत तैयार किया है ४० के दशक के लोकप्रिय और प्रमुख
संगीतकार के दत्ता ने. के दत्ता के संगीत वाली फ़िल्में ५०
के दशक में कम होती गईं.

एक मधुर गीत है ये जो आपको ठंडी हवायें गीत की याद
दिलाएगा.




गीत के बोल:

वही चाँदनी है वही आसमाँ है
बहारें वही और वही गुल्सिताँ है
वही चाँदनी है वही आसमाँ है
बहारें वही और वही गुल्सिताँ है
मगर जिससे रोशन ये दिल का जहाँ है
छुपा चाँद जा कर मेरा वो कहाँ है
वही चाँदनी है वही आसमाँ है
बहारें वही और वही गुल्सिताँ है

वही दिल वही मैं मुहब्बत भी वो ही
निगाहों में अब तक है सूरत भी वो ही
मगर न वो महफ़िल न वो दास्ताँ है
मगर न वो महफ़िल न वो दास्ताँ है
न वो दास्ताँ है

वही चाँदनी है वही आसमाँ है
बहारें वही और वही गुल्सिताँ है

महकती हैं कलियाँ तो चुभते हैं काँटे
सिसकते हैं गुंचे तो लगते हैं चांटे
मगर देखता कौन ये मेहरबाँ है
मगर देखता कौन ये मेहरबाँ है
ये महरबाँ है

वही चाँदनी है वही आसमाँ है
बहारें वही और वही गुल्सिताँ है
.......................................................
Wahi chandni hai-Rishta 1954

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