वहां कौन है तेरा-गाईड १९६५
भी है. मृग मरीचिका और भ्रमजाल से मुक्त मनुष्य के सामने
कभी कभी ये गंभीर प्रश्न उत्पन्न हो जाता है कि वो कहाँ जाए
और क्या करे.
फिल्म के नायक के सभी सपने टूट के बिखर चुके हैं. समय
की चाल से वो हाशिये पे लग चुका है. संगीतकार ने स्वयं इस
गीत को गाया है. इस गीत को शैलेन्द्र ने लिखा है.
गीत के बोल:
वहाँ कौन है तेरा मुसाफ़िर जायेगा कहाँ
दम ले ले घड़ी भर ये छैयां पायेगा कहाँ
वहाँ कौन है तेरा मुसाफ़िर जायेगा कहाँ
वहाँ कौन है तेरा
बीत गये दिन प्यार के पलछिन
सपना बनी वो रातें
भूल गये वो तू भी भुला दे
प्यार की वो मुलाक़ातें
प्यार की वो मुलाक़ातें
सब दूर अन्धेरा
सब दूर अन्धेरा मुसाफ़िर जायेगा कहाँ
दम ले ले
दम ले ले घड़ी भर ये छैयां पायेगा कहाँ
वहाँ कौन है तेरा
कोई भी तेरी राह न देखे
नैन बिछाये ना कोई
दर्द से तेरे कोई न तड़पा
आँख किसी की ना रोई
आँख किसी की ना रोई
कहे किसको तू मेरा
कहे किसको तू मेरा मुसाफ़िर जायेगा कहाँ
दम ले ले घड़ी भर ये छैयां पायेगा कहाँ
वहाँ कौन है तेरा
हो ओ ओ ओ मुसाफ़िर
तू जायेगा कहाँ
कहते हैं ज्ञानी दुनिया है फ़ानी
पानी पे लिखी लिखाई
है सबकी देखी है सबकी जानी
हाथ किसी के न आई
हाथ किसी के न आई
कुछ तेरा ना मेरा
कुछ तेरा ना मेरा मुसाफ़िर जायेगा कहाँ
दम ले ले
दम ले ले घड़ी भर ये छैयां पायेगा कहाँ
वहाँ कौन है तेरा
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Wahan kaun hai tera-Guide 1965
Artist: Dev Anand
1 comments:
soothing melody
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