ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद-मुग़ल-ए-आज़म १९६०
चट्टानें ये अपने अंजाम तक पहुँच के ही रहता है. अब
अंजाम चाहे बर्बादी हो या खुशहाली इसे किसकी परवाह
है. मुग़ल-ए-आज़म का ये गीत कुछ इसी बात की
तस्दीक करता सा प्रतीत होता है.
इतिहास को समझना हो तो फ़िल्में बहुत काम आती हैं.
फिल्मों में जबरन के ड्रामे का जो हिस्सा होता है उसे
भी पब्लिक सच समझ लेती है. ये सब हमने फिल्मों
में ही देखे-हीरो मरने की कगार पर खड़ा है और गीत
गा रहा है. यहाँ एक गरीब आदमी शहजादे के लिए ये
गीत गा रहा है और सारे एक्सप्रेशन हीरो के चेहरे पर
उभर रहे हैं. मोतीलाल जैसे दिखने वाले इस कलाकार
का नाम है सैयद हसन अली जो अल-हिलाल फिल्म के
हीरो थे. उन्हें कुमार के नाम से ज्यादा जाना जाता है.
गीत के बोल:
वफ़ा की राह में आशिक की ईद होती है
ख़ुशी मनाओ मोहब्बत शहीद होती है
ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
दौलत की ज़ंजीरों से तू रहती है आज़ाद
ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
मन्दिर में मस्जिद में तू और तू ही है ईमानों में
मुरली की तानों में तू और तू ही है आज़ानों में
तेरे दम से दीन-धरम की दुनिया है आबाद
ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
प्यार की आँधी रुक न सकेगी नफ़रत की दीवारों से
ख़ून-ए-मुहब्बत हो न सकेगा खंजर से तलवारों से
मर जाते हैं आशिक़ ज़िन्दा रह जाती है याद
ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
इश्क़ बग़ावत कर बैठे तो दुनिया का रुख़ मोड़ दे
आग लगा दे महलों में और तख़्त-ए-शाही छोड़ दे
सीना ताने मौत से खेले कुछ ना करे फ़रियाद
ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
ताज हुकूमत जिसका मज़हब फिर उसका ईमान कहाँ
ताज हुकूमत जिसका मज़हब फिर उसका ईमान कहाँ
जिसके दिल में प्यार न हो वो पत्थर है इंसान कहाँ
जिसके दिल में प्यार न हो वो पत्थर है इंसान कहाँ
प्यार के दुश्मन होश में आ हो जायेगा बरबाद
ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
ऐ मुहब्बत ज़िन्दाबाद
ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद ज़िन्दाबाद
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Zindabad zindabad-Mughal-e-azam 1960
Artists: Dilip Kumar, Prithviraj Kapoor,
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