लग जा गले दिलरुबा-दस लाख १९६६
गति का रोमांटिक गीत सुनते हैं फिल्म दस लाख से जिसे
रफ़ी ने गाया है. इसके संगीतकार हैं रवि.
रोचकता और भौंचकता से भरपूर गीत चार मिनट की भिन्न
प्रकार की और भिन्न जंतुओं द्वारा की गयी कसरत के बाद
जो निवेदन गीत में किया जा रहा है उसके परिणाम पर खत्म
होता है-अर्थात ये है सुखान्त गीत. संगीतकार रवि ने बहुत
ज्यादा तेज गति वाले गीत नहीं बनाये हैं. ये एक अच्छे टेम्पो
वाला गीत है.
संजय खान परदे पर इस गीत को गा रहे हैं नायिका बबीता
के लिए. गाने का फिल्मांकन कमज़ोर है मगर गायन अच्छा
होने की वजह से सब ढँक जाता है.
गीत के बोल:
आ लग जा गले दिलरुबा
कहाँ रूठ के चली
ओ गुलाब की कली
तेरे कदमों में दिल है मेरा
लग जा गले दिलरुबा
ओ शोला बदन ओ ज़ोहरा जबीं
तुम गुस्से में लगती हो और हसीं
बैठा हूँ जिगर को थामे हुए
मुझ पे न गिरे ये बिजली कहीं
इतना न सितम करना
कुछ नज़र-ए-क़रम करना
देखिये दिल है नाज़ुक मेरा
लग जा गले दिलरुबा
आ लग जा गले दिलरुबा
कहाँ रूठ के चली
ओ गुलाब की कली
तेरे कदमों में दिल है मेरा
लग जा गले दिलरुबा
लग जा गले दिलरुबा ...
इतरा के न चल बलखा के न चल
आँचल को हवा में उड़ा के न चल
बन जायेगा कोई अफ़साना
दिल को मेरे तड़पा के न चल
क्या कहने नज़ाकत के
सामान है क़यामत के
मैं तो पहली नज़र में लुटा
लग जा गले दिलरुबा
आ लग जा गले दिलरुबा
कहाँ रूठ के चली
ओ गुलाब की कली
तेरे कदमों में दिल है मेरा
लग जा गले दिलरुबा
ना इश्क हमें है दुनिया से
ना प्यार हमें है दौलत से
हमको तो मोहब्बत है ज़ालिम
तेरी भोली भाली सूरत से
पलकों पे बिठा लूँगा
सीने में छुपा लूँगा
मैं हूँ कब से दीवाना तेरा
लग जा गले दिलरुबा
आ लग जा गले दिलरुबा
कहाँ रूठ के चली
ओ गुलाब की कली
तेरे कदमों में दिल है मेरा
लग जा गले दिलरुबा
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Aa lag ja gale dilruba-Dus Lakh 1966
Artists: Sanjay Khan, Babeeta
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