मनमानी से हरगिज़ ना डरो-मनपसंद १९८०
के दर्शकों का परिचय हुआ-गिरीश कर्नाड. फिल्म में देव आनंद
और टीना मुनीम मुख्य कलाकार हैं और गिरीश कर्नाड ने इस
फिल्म में नायक के मित्र की भूमिका निभाई है.
फिल्म से एक गीत सुनते हैं किशोर का गाया हुआ जिसे लिखा
है अमित खन्ना ने और इसकी धुन तैयार की राजेश रोशन ने.
गीत में शादी ना करने के कई बढ़िया कारण बतलाये जा रहे हैं.
गीत के बोल:
मनमानी से हरगिज़ ना डरो
कभी शादी ना करो
मन मानी से हरगिज़ ना डरो
कभी शादी ना करो
अरे मरज़ी है आज कहीं बाहर खाना खायें
वो कहेगी नहीं साहब ठीक आठ बजे
घर वापस आ जायें
किताब लिये हाथ में आप चैन से बैठे हैं
मेमसाब पूछेंगी क्यों जी हमसे रूठे हैं
कभी किसी भी नारी से कर लो दो बातें
वो कहेंगी क्या इन्हीं से होती हैं छुप के मुलाक़ातें
अरे तौबा बेवक़ूफ़ी की है शादी इन्तहा
अरे औरत अपना सोचे औरों की नहीं परवाह
क्यों ठीक नहीं कहा मैने
जो जी मैं आये वो करो कभी शादी ना करो
मनमानी से हरगिज़ ना डरो
कभी शादी हां कभी शादी
ज़रा सोचिये
आराम से आप ये जीवन जी रहे हैं
पसंद का खा रहे पसंद का पी रहे हैं
अच्छा भला घर है आप का
लेकिन क्या करें
आप से जुदा हैं शौक वो गम साहब का
आते ही कहें सुनिए जी हर चीज़ को बदलो
पहले परदे फिर सोफा फिर अपना हुलिया बदलो
अजी माना तन्हाई से कभी दिल घबराएगा
जीवनसाथी की ज़रूरत महसूस कराएगा
लेकिन इस घबराहट में जो शादी कर बैठे
वो उम्र भर पछतायेगा
जीते जी अरे भाई ना मरो
कभी शादी ना करो
मनमानी से हरगिज़ ना डरो
कभी शादी ओ कभी शादी हां कभी शादी
ना बाबा ना
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Manmani se hargiz na daro-Manpasand 1980
Artists: Dev Anand, Girish Karnad
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