ऐ दिल-ए-बेकरार झूम-शाहजहाँ १९४६
का गाया हुआ. इसे मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा है और इसकी
धुन तैयार की है नौशाद ने.
४० के दशक में अपने कैरियर का आगाज़ करने वाले संगीतकारों
में नौशाद उन गिनती के शख्सों में से एक हैं जिन्होंने ३-४ पीढ़ी
के गायकों के साथ काम किया है. सन २००५ की ताजमहल फिल्म
उनकी अंतिम फिल्म है संगीतकार के रूप में.
गीत के बोल:
ए दिल-ए-बेकरार झूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
अब्रे-बहार आ गया
दौर-ए-खिजां चला गया
इश्क मुराद पा गया
हुस्न की मच रही है धूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
छिटकी हुई है चांदनी
मस्ती में है कली कली
झूम रही है जिंदगी
तू भी हज़ार बार झूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
तारे हैं माहताब है
हुस्न है और शबाब है
जिंदगी कामयाब है
आरजुओं का है हुजूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
तेरा नशा तेरा खुमार
अब है बहार ही बहार
पी के खुशी में बार बार
पीर-ए-जवां के हाथ चूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
ए दिल-ए-बेकरार झूम
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Ae dil-e-beqarar jhoom-Shahjehan 1946
Artist: KL Saigal
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