बना के मेरा मुक़द्दर बिगाड़ने वाले-दूर की आवाज़ १९६४
शिकायत वाला ये गीत लिखा है शकील बदायूनीं ने और इसका
संगीत तैयार किया है रवि ने.
गीत के बोल:
बना के मेरा मुक़द्दर बिगाड़ने वाले
जवाब दे ओ मेरा घर उजाड़ने वाले
क्या यूँ ही रूठ के जाने को मोहब्बत की थी
क्या यूँ ही रूठ के जाने को मोहब्बत की थी
ज़िन्दगी मेरी मिटाने को मोहब्बत की थी
क्या यूँ ही रूठ के जाने को मोहब्बत की थी
आँख में आँसू लब पे कहानी तेरी
मुझको तड़पाती है दिन-रात निशानी तेरी
क्या मुझे तूने रुलाने को मोहब्बत की थी
क्या यूँ ही रूठ के जाने को मोहब्बत की थी
ओ मुझे भूलने वाले तू कहाँ है आजा
क्या हुई मुझसे ख़ता ये तो ज़रा बतला जा
या ये कह दे के दिखाने को मोहब्बत की थी
क्या यूँ ही रूठ के जाने को मोहब्बत की थी
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Bana ke mukaddar-Door ki awaaz 1964
Artist: Joy Mukherji
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