वो चाँद चमका-सन ऑफ सिंदबाद १९५८
आवाज़ में. इस युगल गीत की धुन बनाई है चित्रगुप्त ने.
चाँद वाली थीम पर गीत बना है और धुन भी रात के माहौल
का मजा दे रही है.
गीत के बोल:
वो चाँद चमका वो नूर छलका
लो हल्का हल्का नशा छा रहा है
ये कैसा जादू मुझे सम्भालो
के मेरे हाथों से दिल जा रहा है
धड़कनें तेज़ सी हो गईं
आज नज़रें कहीं खो गई
धड़कनें तेज़ सी हो गई
आज नज़रें कहीं खो गई
क़दम क़दम पे मस्तियाँ
नज़र नज़र में शोख़ियाँ
ये चाँदनी में कौन छुप के आ रहा है
ये कैसा जादू मुझे सम्भालो
के मेरे हाथों से दिल जा रहा है
वो चाँद चमका वो नूर छलका
लो हल्का हल्का नशा छा रहा है
मौज तड़पे के साहिल मिले
दिल ये चाहे कोई दिल मिले
मौज तड़पे के साहिल मिले
दिल ये चाहे कोई दिल मिले
हमें तेरी है आरज़ू हमें तेरी है जुस्तजू
घड़ी घड़ी ये दिल तुझे बुला रहा है
वो चाँद चमका वो नूर छलका
लो हल्का हल्का नशा छा रहा है
ये कैसा जादू मुझे सम्भालो
के मेरे हाथों से दिल जा रहा है
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Wo chand chamka-Son of Sindbad 1958
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