छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी-मौसम १९७५
उसकी अच्छी बानगी है फिल्म मौसम का गीत. नायक
के पैर में मोच आ जाती है और वो इलाज के लिए एक
वैद्य की सेवा लेता है. वैद्य उसे एक छड़ी भी दे देता है
जिससे उसे चलने फिरने में सहूलियत हो जाए. नायिका
उसी वैद्य की बेटी है. आगे की कहानी तो होनहार फिल्म
प्रेमी अपने आप समझने की क्षमता रखते हैं. ना समझ
आये तो ये गीत पूरा देख लें एक बार.
गुलज़ार का गीत, रफ़ी-लता की आवाजें और मदन मोहन
का संगीत है.
गीत के बोल:
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
पैरों की बेड़ी कभी लगे हथकड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
सीधे-सीधे रास्तों को थोड़ा सा मोड़ दे दो
सीधे-सीधे रास्तों को थोड़ा सा मोड़ दे दो
बेजोड़ रूहों को हल्का सा जोड़ दे दो
जोड़ दो न टूट जाये सांसों की लड़ी
जोड़ दो न टूट जाये सांसों की लड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
पैरों की बेड़ी कभी लगे हथकड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
धीरे-धीरे चलना सपने नींदों में डर जाते हैं
हो ओ ओ ओ ओ
धीरे-धीरे चलना सपने नींदों में डर जाते हैं
कहते हैं सपने कभी जागे तो मर जाते हैं
नींद से न जागे कोई ख़्वाबों की लड़ी
नींद से न जागे कोई ख़्वाबों की लड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गल्ले में पड़ी
लगता है साँसों में टूटा है काँच कोई
हो ओ ओ ओ ओ
लगता है साँसों में टूटा है काँच कोई
चुभती है सीने में भीनी सी आँच कोई
आँचल में बाँध ली है आग की लड़ी
आँचल में बाँध ली है आग की लड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
पैरों की बेड़ी कभी लगे हथकड़ी
छड़ी रे छड़ी कैसी गले में पड़ी
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Chhadi re chhadi-Mausam 1975
Artists: Sanjeev Kumar, Sharmila Tagore
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