सोचो के झीलों का शहर हो-मिशन कश्मीर २०००
शंकर एह्सान लॉय की तिकड़ी के संगीत वाली इस फिल्म के गीत
काफी बजे थे रिलीज़ के २-३ साल बाद तक. आज कभी कभार
एक आध गीत सुनाई दे जाता है. एक पुराने और ज्ञानवान संगीत
प्रेमी की नज़र में आजकल के संगीत की रिपीट वैल्यू नहीं है इसलिए
वो १-२ साल बज कर गायब हो जाता है.
गीत समीर अनजान का लिखा हुआ है और इसे उदित नारायण के
साथ अलका याग्निक ने गाया है. इस गीत में भी बुम्बरो बुम्बरो आ
जाता है एक बार. संगीतकार का बस चलता तो फिल्म के सारे गानों
में ये शब्द सुनाई देते.
गीत के बोल:
देखो देखो
क्या मैं देखूँ
सोचो सोचो
सोचूँ मैं क्या
हो ओ ओ ओ ओ हो ओ ओ ओ ओ
हो ओ ओ ओ ओ हो ओ ओ ओ ओ
सोचो के झीलों का शहर हो
लहरों पे अपना एक घर हो
सोचो के झीलों का शहर हो
लहरों पे अपना एक घर हो
हम जो देखें सपने प्यारे
सच हों सारे बस और क्या
सोचो के झीलों का शहर हो
लहरों पे अपना एक घर हो
हम जो देखें सपने प्यारे
सच हों सारे बस और क्या
फ़र्श हो प्यार का खुशबुओं की दीवारें
हम जहां बैठ के प्रेम से दिन गुज़ारें
हाँ फ़र्श हो प्यार का खुशबुओं की दीवारें
हम जहां बैठ के प्रेम से दिन गुज़ारें
पलकें उठें पलकें झुकें
देखे तुझे बस ये नज़र
सोचो के झीलों का शहर हो
लहरों पे अपना एक घर हो
बुम्बरो बुम्बरो श्याम रंग बुम्बरो
आये हो किस बगिया से
हो ओ ओ हो ओ ओ तुम
बर्फ़ ही बर्फ़ हो सर्दियों का हो मौसम
आग के सामने हाथ सेंकते हों हम
बर्फ़ ही बर्फ़ हो सर्दियों का हो मौसम
आग के सामने हाथ सेंकते हों हम
बैठी रहूं आग़ोश में
रख के तेरे कांधे पे सर
सोचो के झीलों का शहर हो
लहरों पे अपना एक घर हो
हम जो देखें सपने प्यारे
सच हों सारे बस और क्या
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Socho ke jheelon ka safar ho-Mission Kashmir 2000
Artists: Hrithik Roshan, Preity Zinta
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