चल चल चल मेरे दिल-अकेली मत जइयो १९६३
हैं. इसे मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा है और मदन मोहन का
संगीत है. मुकेश और जॉनी व्हिस्की ने इसे गाया है.
ये गीत फेमस नहीं है जो आपने इसे कई बार सुन रखा हो.
हाँ कुछ संगीत प्रेमी इसे gem बतलाते हैं. उनके इस आकलन
से हमें चॉकलेट वाली gems का पैकेट याद आने लग जाता है.
जैम से हम ब्रेड-पराठे पर लगाने वाला जैम भी समझते हैं.
कुछ ऐसी ही बात है जैसे फ़ुटबाल वाला गोल और उद्देश्य वाला
गोल. दुनिया भी तो गोल ही है आखिर.
गीत में नायक एक पुतले को लेकर नाच रहा है. ये आपने कुछ
और फिल्मों में भी देखा होगा शायद ‘मेरे अपने’ फिल्म में कोई
कलाकार इसे ले कर घूमता है. गूगल पर ventriloquist शब्द
ढूँढें आपको इस बारे में और जानकारी प्राप्त हो जायेगी.
गीत के बोल:
चल चल चल मेरे दिल प्यार तेरी मंजिल
जहाँ प्यार मिले दिलदार मिले वहीँ चल चल चल
चल चल चल मेरे दिल प्यार तेरी मंजिल
जहाँ प्यार मिले दिलदार मिले वहीँ चल चल चल
चल चल चल मेरे दिल
पड़े ना फिर पछताना वहाँ
जो भी पड़े सब सह ले चल उसकी गली में पहले
जो भी पड़े सब सह ले चल उसकी गली में पहले
कहती है दुनिया आज अगर तो तुझको दीवाना कह ले
हंस के पुकारे हँसने दे प्यारे दुनिया तो है जाहिल
चल चल चल मेरे दिल प्यार तेरी मंजिल
जहाँ प्यार मिले दिलदार मिले वहीँ चल चल चल
चल चल चल मेरे दिल
संभल के चलना बुद्धू मियां
देख के तुझको चलते दिल होंगे हजारों जलते
देख के तुझको चलते दिल होंगे हजारों जलते
फिर भी तू अपनी धुन में निकल जा गिरते और सँभलते
देख ना डरना खौफ ना करना
कुछ भी नहीं मुश्किल
चल चल चल मेरे दिल प्यार तेरी मंजिल
जहाँ प्यार मिले दिलदार मिले वहीँ चल चल चल
चल चल चल मेरे दिल
पलट चलो घर बैठो, सुना
बैठ के गम क्यों झेलें हाथों में वो दामन ले लें
बैठ के गम क्यों झेलें हाथों में वो दामन ले लें
कर के निगाहें चार ज़रा तकदीर की बाज़ी खेलें
फिर वही मैं हूँ फिर वही तू हो फिर हो वही महफ़िल
चल चल चल मेरे दिल प्यार तेरी मंजिल
जहाँ प्यार मिले दिलदार मिले वहीँ चल चल चल
चल चल चल मेरे दिल
चल चल चल मेरे दिल
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Chal chal chal mere dil-Akeli mat jaiyo 1963
Artist: Rajendtra Kumar
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