जो राह चुनी तूने-तपस्या १९७६
है. शब्दकोष के सारे शब्दों का प्रयोग तो संभव नहीं मगर वैराईटी
की बात की जाए तो काफी अनूठे किस्म के नाम भी हमें देखने
को मिले-राजा रानी को चाहिए पसीना जैसे.
सुनते हैं तपस्या फिल्म से एक गीत. गौरतलब है त्याग, बैराग
सन्यासी, ब्रह्मचारी, पुजारी, पुजारिन जैसे नामों वाली फ़िल्में मौजूद
हैं.
प्रस्तुत गीत किशोर कुमार ने गाया है. एम जी हशमत गीतकार हैं
और रवीन्द्र जैन संगीतकार. आम तौर पर रवीन्द्र जैन ने अपने गीत
खुद लिखा मगर कुछ फिल्मों में आपको दूसरे गीतकारों के लिखे
गीत भी मिल जायेंगे.
गीत के बोल:
जो राह चुनी तूने अरे जो राह चुनी तूने
उसी राह पे राही चलते जाना रे
हो कितनी भी लम्बी रात अरे हो ओ ओ ओ
हो कितनी भी लम्बी रात दिया बन जलते जाना रे
उसी राह पे राही चलते जाना रे
जो राह चुनी तूने उसी राह पे राही चलते जाना रे
कभी पेड़ का साया पेड़ के काम न आया हो ओ ओ
कभी पेड़ का साया पेड़ के काम न आया
अरे सेवा में सभी की उसने जनम बिताया हो ओ ओ
कोई कितने भी फल तोड़े अरे हो ओ ओ
कोई कितने भी फल तोड़े उसे तो है फलते जाना रे
उसी राह पे राही चलते जाना रे
तेरी अपनी कहानी ये दर्पण बोल रहा है हो ओ ओ ओ
तेरी अपनी कहानी ये दर्पण बोल रहा है
भीगी आँख का पानी हक़ीकत खोल रहा है हो ओ ओ ओ
जिस रंग में ढाले अरे हो ओ ओ
जिस रंग में ढाले वक़्त मुसाफ़िर ढलते जाना रे
उसी राह पे राही चलते जाना रे
जीवन के सफ़र में ऐसे भी मोड़ हैं आते हो ओ ओ ओ
जीवन के सफ़र में ऐसे भी मोड़ हैं आते
जहाँ चल देते हैं अपने भी तोड़ के नाते ऐ ऐ ऐ
कहीं धीरज छूट न जाये अरे हो ओ ओ ओ
कहीं धीरज छूट न जाये तू देख सम्भलते जाना रे
उसी राह पे राही चलते जाना रे
तेरे प्यार की माला कहीं जो टूट भी जाये हो ओ ओ
तेरे प्यार की माला कहीं जो टूट भी जाये
जनमों का साथी कभी जो छूट भी जाये ऐ ऐ ऐ
दे दे कर झूठी आस अरे हो ओ ओ ओ
दे दे कर झूठी आस तू खुद को छलते जाना रे
उसी राह पे राही चलते जाना रे
हो कितनी भी लम्बी रात अरे हो ओ ओ ओ
हो कितनी भी लम्बी रात दिया बन जलते जाना रे
उसी राह पे राही चलते जाना रे
उसी राह पे राही चलते जाना रे
उसी राह पे राही चलते जाना रे
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Jo raah chuni tone-Tapasya 1976
Artist: Rakhi, Parikishit Sahni

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