Oct 8, 2017

आ जा रे परदेसी-मधुमती १९५८

आपको अभी तक मधुमती फिल्म का गीत सुनवाया ही
नहीं, आश्चर्य है. कोई बात नहीं आज सुन लेते हैं. लता
के गाये सर्वाधिक लोकप्रिय गीतों में इसे आप ज़रूर ही
पाएंगे.

शैलेन्द्र का लिखा गीत है और सलिल चौधरी की धुन.




गीत के बोल:

मैं तो कब से खड़ी इस पार
ये अँखियाँ  थक गई पंथ निहार
आ जा रे  परदेसी
मैं तो कब से खड़ी इस पार
ये अँखियाँ  थक गई पंथ निहार
आ जा रे  परदेसी

मैं दिये की ऐसी बाती
जल न सकी जो बुझ भी न पाती
मैं दिये की ऐसी बाती
जल न सकी जो बुझ भी न पाती
आ मिल मेरे जीवन साथी  ओ ओ
आ जा रे 
मैं तो कब से खड़ी इस पार
ये अँखियाँ  थक गई पंथ निहार
आ जा रे  परदेसी

तुम संग जनम जनम के फेरे
भूल गये क्यूँ साजन मेरे
तुम संग जनम जनम के फेरे
भूल गये क्यूँ साजन मेरे    
तड़पत हूँ मैं सांझ सवेरे  ओ ओ
आ जा रे 
मैं तो कब से खड़ी इस पार
ये अँखियाँ  थक गई पंथ निहार
आ जा रे  परदेसी

मैं नदिया फिर भी मैं प्यासी
भेद ये गहरा बात ज़रा सी
मैं नदिया फिर भी मैं प्यासी
भेद ये गहरा बात ज़रा सी  
बिन तेरे हर रात उदासी  ओ ओ
आ जा रे 
मैं तो कब से खड़ी इस पार
ये अँखियाँ  थक गई पंथ निहार
आ जा रे  परदेसी
…………………………………………….
Aa ja re pardesi-Madhumati 1958

Artists: Vaijayantimala, Dilip Kumar

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