घिर आई बदरिया-आलोर पिपासा १९६५
पहले. उसी फिल्म से एक और हिंदी गीत सुनते हैं आज. इसे भी
लता मंगेशकर ने गाया है. गीतकार और संगीतकार भी वही हैं
जिन्होंने पिछले गीत को तैयार किया था.
गीत के बोल:
घिर आई बदरिया
पिया नाहीं आये
तन-मन जले मोरा
बिरहा सताये बिरहा सताये
घिर आई बदरिया
जा जा रे बदरा तू पी को मना ला
जा जा रे बदरा तू पी को मना ला
पी के बिना मोहे कछहूँ ना भाये
पी के बिना मोहे
पी के बिना मोहे कछहूँ ना भाये
फिर आई बंदरिया
पिया नाहीं आये
पिया नाहीं आये
जीवन है प्यासा
अखियाँ है प्यासी
अखियाँ है प्यासी
मेघा रे काहे को झड़िया लगाये
मेघा रे काहे
मेघा रे काहे को झड़िया लगाये
घिर आई बदरिया
पिया नाहीं आये
तन-मन जले मोरा बिरहा सताये
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Ghir aayi badariya-Aalor Pipasa 1965
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