यादें बनी-सोच २००२
अलकाय याग्निक और कुमार सानू का गाया युगल गीत है
जिसके बोल समीर के हैं और संगीत जतिन ललित का.
गीत के बोल:
यादें बनी परछाईयाँ चारों तरफ हैं तन्हाईयां सनम
यादें बनी परछाईयाँ चारों तरफ हैं तन्हाईयां सनम
आग में दबा जैसे धुआं है यही हमारी दास्तान
यादें बनी परछाईयाँ चारों तरफ हैं तन्हाईयां सनम
आग में दबा जैसे धुआं है यही हमारी दास्तान
यादें बनी परछाईयाँ
क्या करें हम भला हो बेवजह सी लगती जिंदगी
तुम वजह ढूंढ लो जिंदगी में आयेगी खुशी
कह रही हैं क्या खामोशियां दूरियां रहें ना दरमियां
यादें बनी परछाईयाँ
जो खुदा हो खफ़ा हाँ आदमी करे तो क्या करे
क्या तुम्हें है पता वक्त सारे ज़ख्मों को भरे
जल गया हमारा आशियां हम नया बसायेंगे जहां
यादें बनी परछाईयाँ चारों तरफ हैं तन्हाईयां सनम
यादें बनी परछाईयाँ चारों तरफ हैं तन्हाईयां सनम
आग में दबा जैसे धुआं है यही हमारी दास्तान
आग में दबा जैसे धुआं है यही हमारी दास्तान
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Yadein bani-Soch 2002
Artists: Sanjay Kapoor, Alka Yagnik
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