आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम-फिर सुबह होगी १९५८
आदर्शवाद को समझने में कभी कभी थोडा वक्त लग जाता
है. हाँ, स्क्रिप्ट के पेंचों में अटके साहिर के गीतों को
समझने में ज़रा भी वक्त नहीं लगता. फिल्म कैसी भी
रही हो उन्होंने गीतों में अपने पञ्च ज़रूर मारे हैं. ये
गीत आखिरी अंतरे में कुछ इस मोड में है-हमें क्या लेना
देना.
मुकेश के गाये सार्थक गीतों में से एक जिसकी धुन बनाई
है खय्याम ने, राज कपूर पर फिल्माया गया है.
गीत के बोल:
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल किसी को वो टोकता नहीं,
चाहे कुछ भी कीजिये ये रोकता नहीं
हो रही है लूटमार फट रहे हैं बम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
किसको भेजे वो यहाँ हाथ थामने
इस तमाम भीड़ का हाल जानने
आदमी हैं अनगिनत देवता हैं कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
जो भी है वो ठीक है ज़िक्र क्यों करें
हम ही सब जहाँ की फ़िक्र क्यों करें
जो भी है वो ठीक है ज़िक्र क्यों करें
हम ही सब जहाँ की फ़िक्र क्यों करें
जब उसे ही ग़म नहीं तो क्यों हमें हो ग़म
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
आजकल वो इस तरफ़ देखता है कम
आसमाँ पे है खुदा और ज़मीं पे हम
……………………………………………………..
Aasman pe hai khuda-Phir subah hogi 1958
Artist: Raj Kapoor
0 comments:
Post a Comment