ए री मैं तो प्रेम दीवानी-जोगन १९५०
को स्वर दिया है गीता दत्त ने. बुलो सी रानी नामक संगीतकार
ने इसे संगीतबद्ध किया है. बुलो सी रानी के जीवन में प्रसिद्ध
होने के क्षण कम आये और ये उनके संगीत वाली एकमात्र ऐसी
फिल्म है जिसके सभी गीत चाव से सुने जाते हैं.
योग संयोग ऐसी चीज़ें हैं जीवन की जिन पर किसी का बस नहीं
चलता. किसी की बस छूट जाती है तो कोई बस पकड़ लेता है.
कोई बस पकड़ भी लेता है तो उसमें उसके साथ धक्का मुक्की होगी
या उसे बैठने की जगह नसीब होगी ये कौन जानता है. जिंदगी
का सफर ऐसा ही है.
गीत के बोल:
ए री मैं तो प्रेम दीवानी मेरो दर्द न जाने कोय
ए री मैं तो प्रेम दीवानी मेरो दर्द न जाने कोय
सूलीयों पर सेज हमारी सोनो किस बिध होय
गगन मंडल पर सेज पिया की मिलन किस बिध होय
दर्द न जाने कोय
ए री मैं तो प्रेम दीवानी मेरो दर्द न जाने कोय
घायल की गत घायल जाने और न जाने कोय
मीरा के प्रभु सिर मिटे जब वैद साँवारिया होय
दर्द न जाने कोय
ए री मैं तो प्रेम दीवानी मेरो दर्द न जाने कोय
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Ae ri main to prem deewani-Jogan 1950
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