Jan 7, 2018

साक़ी साक़ी-गीत १९४४

जोहरा बाई अम्बलेवाली की दमदार और बुलंद आवाज़ में एक
गीत सुनते हैं फिल्म गीत से. ये सन १९४४ की फिल्म है जिसके
गीत दीनानाथ मधोक ने लिखे हैं. नौशाद इसके संगीतकार हैं.
इसी जोड़ी की एक बेहद चर्चित फिल्म भी सन १९४४ की रिलीज़
है-रतन जिसके गाने आज भी बजते हैं.





गीत के बोल:

साक़ी साक़ी
दिल बुझ ही गया है सीने में
कुछ लुत्फ़ नहीं अब जीने में
साक़ी साक़ी

साक़ी तेरे जाम वो जाम नहीं
क्या रखा है अब पीने में
साक़ी तेरे जाम वो जाम नहीं
क्या रखा है अब पीने में
साक़ी साक़ी

साक़ी पहली सी बात नहीं
पहले दिन पहली रात नहीं
जब तेरा ही वो हाथ नहीं
जब तेरा ही वो हाथ नहीं
क्या रखा है फिर सीने में
साक़ी साक़ी

अब सावन के दिन बीत गये
हम हार गये तुम जीत गये
साक़ी जब छोड़ के मीत गये
साक़ी जब छोड़ के मीत गये
कुछ लुत्फ़ नहीं फिर जीने में
साक़ी साक़ी

दिल बुझ ही गया है सीने में
कुछ लुत्फ़ नहीं अब जीने में
साक़ी साक़ी
……………………………………………….
Saaki saaki-Geeet 1944

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