Feb 4, 2018

इधर तो हाथ ला प्यारे-आखिरी दांव १९५८

इधर-उधर हिट्स में से सुनिए एक गीत १९५८ की
फिल्म आखिरी दांव से. मजरूह सुल्तानपुरी के लिखे
गीत को मोहम्मद रफ़ी ने गाया है मदन मोहन के
संगीत निर्देशन में.

परदे पर इसे जॉनी वॉकर गा रहे हैं एक फ़कीर के भेस
में. गाने के अंत में मजमून समझ आता है इस ड्रामे
का.


   
गीत के बोल:

इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क्या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क्या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
इधर तो हाथ ला प्यारे

लिखा है तुझको तो किसी से उल्फ़त है
मगर उस ज़ालिम को तुझसे नफ़रत है
वो चाहे औरों को ये तेरी क़िस्मत है
ये ज़ालिम प्यार दिखलाता है क्या क्या नज़ारे

इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क्या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
इधर तो हाथ ला प्यारे

लकीरें कहती हैं ये तेरे हाथों में
के तेरा मन उलझा है ऐसी बातों में
कि सोना मुश्किल है तुझे अब रातों में
ये सारे भेद खोले हैं लकीरों ने प्यारे

इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क्या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
इधर तो हाथ ला प्यारे

किया है जो तूने वही पायेगा तू
बुरी होगी बेटा जो छिपायेगा तू
फ़क़ीरों से बच के कहाँ जाएगा तू
तेरी क़िस्मत की चाबी है मेरे हाथों में प्यारे

इधर तो हाथ ला प्यारे दिखाऊँ दिन को भी तारे
लिखा है क्या लकीरों में फ़क़ीरों से सुन जा रे
इधर तो हाथ ला प्यारे

……………………………………………..
Idhar to haath la pyare-Akhiri Daon 1958

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP