क़रीब आ ये नज़र फिर-अनिता १९६७
लड़की या महिला के किरदारों में ही ज्यादा देखा. रंगीन युग के
आगमन के साथ ही कई फिल्मों में उनकी भूमिका भी आधुनिक
होती चली.
एक गीत सुनते हैं सन १९६७ की फिल्म अनिता से. गीत के बोल
हैं राजा मेहदी अली खान के और संगीत है लक्ष्मीकांत प्यारेलाल
का. इसे लता मंगेशकर ने गाया है.
फिल्म का निर्देशन राज खोसला ने किया और शायद ये एक वजह
हो सकती है गीतकार के रूप में राजा मेहदी अली खान की सेवाएं
लेने की. राज खोसला की पिछली फिल्म थी-मेरा साया जिसमें कि
मदन मोहन का संगीत है. फिल्म के गीत राजा मेहदी अली खान
द्वारा लिखे गए थे. लक्ष्मी प्यारे की राज खोसला के लिए ये पहली
फिल्म थी और इसके गीत खूब चले. इसके बाद आई फिल्म चिराग
में फिर से एक बार मदन मोहन का संगीत है. गीतकार बदल गए
चिराग फिल्म में और इसके गीत मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखे.
गीत के बोल:
क़रीब आ ये नज़र फिर मिले मिले ना मिले
क़रीब आ ये नज़र फिर मिले मिले ना मिले
ये आरज़ू का चमन फिर खिले खिले न खिले
क़रीब आ ये नज़र फिर मिले मिले ना मिले
क़रीब आ ये नज़र
तरस रहा है ये दिल तेरी इक नज़र के लिए
तरस रहा है ये दिल तेरी इक नज़र के लिए
बस एक नज़र तेरी काफ़ी है उम्र भर के लिए
नज़र से प्यार जता लब हिले हिले ना हिले
क़रीब आ ये नज़र फिर मिले मिले ना मिले
क़रीब आ ये नज़र
नज़र उठा के तेरे सामने बहार खड़ी
नज़र उठा के तेरे सामने बहार खड़ी
कोई हसीना निगाहों में ले के प्यार खड़ी
फिर इस अदा से कली खिले खिले ना खिले
क़रीब आ ये नज़र फिर मिले मिले ना मिले
ये आरज़ू का चमन फिर खिले खिले न खिले
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Karee baa ye nazar phir-Anita 1967
Artist: Sadhana, IS Jauhar
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