Feb 19, 2018

तू है या नहीं भगवान-जनम जनम के फेरे १९५७

फिल्म जनम जनम के फेरे से एक गीत सुनते हैं भरत व्यास का
लिखा हुआ. ईश्वर है या नहीं इस गीत में ये संवाद हो रहा है.

लता, मन्ना डे और रफ़ी का गाया ये गीत दुर्लभ है. हिंदी फिल्मों
के कई अच्छे गीत अनसुने से रह गए और कॉमन मास तक ना
पहुँच पाए.
   



गीत के बोल:

तू है या नहीं भगवान
तू है या नहीं भगवान
कभी होता भरोसा कभी होता भरम
पड़ा उलझन में है इंसान
कभी होता भरोसा कभी होता भरम
पड़ा उलझन में है इंसान
तू है या नहीं भगवान

मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान
तेरे सोचे बिना जब होता है सब
तो समझ ले कहीं है भगवान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान

तू है या नहीं भगवान
तू है या नहीं भगवान

वो है अगर तो क्यूँ दे ना दिखाई
वो है अगर तो क्यूँ दे ना दिखाई कैसी ये उल्टी रीत है
वो है अगर तो क्यूँ दे ना दिखाई कैसी ये उल्टी रीत है
झूठा है वो उसके झूठे ही भय से झूठा जगत भयभीत है
घन घन गरजती हुई ये घटायें
घन घन गरजती हुई ये घटायें किसका सुनाती गीत हैं
लहराते सागर की लहरों में गूँजे
लहराते सागर की लहरों में गूँजे किसका अमर संगीत है
किसका अमर संगीत है
जो दाता है सबका महान हो ओ ओ ओ ओ ओ
जो दाता है सबका महान
दिया जिसने जनम दिया जिसने ये तन
क्यूँ न उसको सका तू पहचान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान

तू है या नहीं भगवान
तू है या नहीं भगवान

बालक की ममता रोती है क्यूँ
बालक की ममता रोती है क्यूँ अनहोनी जग में होती है क्यूँ
मंदिर में दीप जलाते हैं जो उनके घर की बुझती ज्योति है क्यूँ
अनहोनी जग में होती है क्यूँ

जीवन-मरण हानि और फ़ायदा कर्मों का फल है उसका भी क़ायदा
इंसान की कुछ भी चलती नहीं करनी अपनी कभी टलती नहीं
भक्ति के भाव से उसको तू जान ले
श्रद्धा की आँखों से उसको तू पहचान ले
होता नहीं क्या अचंभा बड़ा आकाश किसके सहारे खड़ा
आकाश किसके सहारे खड़ा
फूलों में रंग झरनों में तरंग धरती में उमंग जो उठाता
वो कौन क्या तुम
बादल में बिजली पहाड़ों में फूल जो खिलाता
वो कौन क्या तुम
वो है सर्वस्त्रशक्तिमान
वो है सर्वस्त्रशक्तिमान
कण-कण में बसे पर दिखाई न दे
उसकी शक्ति को तू पहचान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान
तेरे सोचे बिना जब होता है सब
तो समझ ले कहीं है भगवान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान
मत उलझन में पड़ इंसान
………………………………………………………..
Too hai ya nahin bhagwan-Janam janama ke phere 1957

Artists: Nirupa Roy, Manhar Desai,  Unknown Babaji

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