वो दिन याद करो-हमराही १९६३
फिल्माए जाते हैं उनमें हास्य का पुट ज़रूर होता है. प्रस्तुत
गीत अपवाद सरीखा है क्यूंकि ये एक सामान्य रोमांटिक गीत
है और इसी वजह से ये काफी लोकप्रिय हुआ.
हसरत जयपुरी के बोल, शंकर जयकिशन का संगीत और लता
रफ़ी की आवाजों वाला ये गीत महमूद और शुभा खोटे पर
फिल्माया गया है. हास्य आपको अभिनय में अवश्य मिलेगा
मगर नपा-तुला और नियंत्रित.
गीत के बोल:
वो दिन याद करो वो दिन याद करो
वो छुप छुप के मिलना वो हंसना हसाना
वो दिन याद करो
वो दिन याद करो वो दिन याद करो
वो फूलों की छैयां वो मौसम सुहाना
वो दिन याद करो
फिरते थे आज़ाद हम तो चमन में
चाँद और सूरज हैं जैसे गगन में
अब तो ये जीवन है उलज़न की सीमा
धड़के मेरा दिल अब धीमा धीमा
वो दिन याद करो
जब मैं कली थी तब ही भली थी
कोई ना गम था मैं मनचली थी
मेरी गली से तेरा गुजरना
नैनों के रस्ते दिल में उतरना
वो दिन याद करो
हम तो वो ही है दिन वो कहाँ है
दिल तो हमारे अब भी जवान है
दिल में ही तडपे ये अरमान सारे
प्यासे के प्यासे है नदिया किनारे
वो दिन याद करो
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Wo din yaad karo-Hamrahi 1963
Artists: Mehmood, Shubha Khote
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