आ सपने तुझे बुलाएँ-हमदर्द १९५३
वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह
वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह
वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह
वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह
वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह
वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह
वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह वाह
एक कवि समेलन में मंच पर बैठे कवि ने किसी दूसरे कवि की
रचना की तारीफ में ९६ बार वाह वाह की लगातार जैसे सुई अटक
गयी हो. हमने सोचा जब कोई अति गदगद हो जाता है तब ऐसे
ही वाह वाह कर उठता है. हमने दो बार ज्यादा कर दी इधर.
सुनते हैं गीता दत्त का गाया फिल्म हमदर्द का गीत जिसे लिखा है
प्रेम धवन ने और जिसकी धुन तैयार की है अनिल बिश्वास ने.
गीत में संगीत ज्यादा है और बोल कम.
गीत के बोल:
आ सपने तुझे बुलाएँ आ जा आ आ जा
आ सपने तुझे बुलाएँ आ जा आ आ जा
गोरी गोरी गरम गरम बाहों में
काली काली जुल्फों की घटाओं में
मुस्कुराती गुनगुनाती प्यार की फिजाओं में
आ सपने तुझे बुलाएँ आ जा आ आ जा
आ
हुस्न की जहाँ हैं मेहरबानियाँ
इश्क कहता है जहाँ कहानियां
खेलती जवानियों से है जहाँ जवानियाँ
आ सपने तुझे बुलाएँ आ जा आ आ जा
आ
गैर की निगाहों से बचा लूंगी आ
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Aa sapne tujhe bulayen-Hamdard 1953
Artist: Smriti Biswas
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