कागा रे जा रे जा रे-वफ़ा १९५०
हुए. एक आज सुन लेते हैं. फिल्म का नाम है वफ़ा. बिदेसवा से
संदेसवा कबूतर ज्यादा लाया करते थे मगर इस गीत में कौवे से
निवेदन किया जा रहा है.
संगीतकार विनोद के हास्य रस वाले गीत ज्यादा लोकप्रिय हैं दूसरे
सामान्य गीतों के बनिस्बत. विचित्र सी बात है किन्तु सत्य है.
सुनते हैं गीत जिसे लिखा है अज़ीज़ कश्मीरी ने और इसे गाया है
लता मंगेशकर ने.
गीत के बोल:
कागा रे जा रे जा रे
मोरे पिया का सन्देसवा
ला रे ला रे ला रे
कागा रे जा रे जा रे
उड़ जा रे ओ काले कागा जा साजन के द्वार
कहना उसने कर दी देर
काहे जिया बेकार
बिना दोष के ओ निर्मोही
बिना दोष के ओ निर्मोही
काहे रूठ गया रे जा रे
कागा रे जा रे जा रे
दूर देस के जाने वाले ले जा मेरे बैन
कहना तुझ बिन नैन बावरे
रोते हैं दिन रैन
मेरी दशा दिखलाने को
मेरी दशा दिखलाने को
दो नैन मेरे ले जा रे आ रे
कागा रे जा रे जा रे
मोरे पिया का सन्देसवा
ला रे ला रे ला रे
कागा रे जा रे जा रे
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Kaaga re ja re ja re-Wafa 1950
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