मचलती हुई हवा में छम छम-गंगा की लहरें १९६४
सन १९६४ की फिल्म गंगा की लहरें. ब्लॉग पर आपको इस
फिल्म से एक भी गीत नहीं सुनवाया है. मुझे भी आश्चर्य हुआ
जब मैंने सूची देखी.
मजरूह सुल्तानपुरी की रचना को स्वर दिया है लता मंगेशकर
और किशोर कुमार ने चित्रगुप्त की तर्ज़ पर. गीत किशोर कुमार
और कुमकुम पर फिल्माया गया है. विश्व नारी दिवस के
अवसर पर इस महिला पुरुष कोरस से युक्त गीत का आनंद
उठाइए.
गीत के बोल:
मचलती हुई हवा में छमछम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
मचलती हुई हवा में छमछम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
हो ओ ओ ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
हरियाली सी छा जाती है छाँव में इन के आँचल की
हरियाली सी छा जाती है छाँव में इन के आँचल की
सर को झुका के नाम लो इन के ये तो है शक्ति निर्बल की
हिमालय ने भी चूमे हैं इन के क़दम
मसलती हुई हवा में छमछम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
सुख में डूबा तन मन उस का आया जो इन के आँगन में
सुख में डूबा तन मन उस का आया जो इन के आँगन में
प्यार का पहला दर्पण देखा दुनिया ने इनके दर्शन में
के यूँ ही नहीं खाते हम इन की क़सम
ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
मचलती हुई हवा में छमछम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
साथ दिया है इन लहरों ने जब सब ने मुँह फेर लिया
साथ दिया है इन लहरों ने जब सब ने मुँह फेर लिया
और कभी जब गम की जलती धूप ने हम को घेर लिया
तो आओ इन के ही क़दमों में झुक जायें हम
मचलती हुई हवा में छमछम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
ज़माने से कहो अकेले नहीं हम
हमारे संग संग चलें गंगा की लहरें
………………………………………………………….
Machalti hui hawa mein-Ganga ki lehren 1964
Artists: Kishore Kumar, Kumkum
1 comments:
धन्यवाद
Post a Comment