झनन झनन बाजे-चाँद और सूरज १९६५
रहा है. ऐसे गीत बड़े लुभावने होते हैं. इसे हमारे अनुमान के
हिसाब से झनन-झनन श्रेणी में रखना उपयुक्त होगा.
शैलेन्द्र ने गीत लिखा है और सलिल चौधरी ने इसकी धुन बनाई
है. गायिका को आप पहचान ही लेंगे. नायिका का नाम हम
बतलाये देते हैं-तनूजा. अचरज और आश्चर्य के भाव चेहरे पर
कैसे लाये जाते हैं उसका एक अच्छा ट्यूटोरियल है ये गीत.
गीत के बोल:
झनन झनन बाजे बाजे
झनन झनन बाजे
बिछुवा बाजे ननदी जागे
कैसे आऊँ मितवा मोरे
झनन झनन बाजे
बिछुवा बाजे ननदी जागे
कैसे आऊँ मितवा मोरे
झनन झनन बाजे
आई द्वार पे जब से ये रैन कजरारी
देखूँ प्यार के सपने मैं बिरहा की मारी
आई द्वार पे जब से ये रैन कजरारी
देखूँ प्यार के सपने मैं बिरहा की मारी
मोहे कोई न देखेगा छाई रहेगी अंधियारी
झनन झनन बाजे
बिछुवा बाजे ननदी जागे
कैसे आऊँ मितवा मोरे
झनन झनन बाजे
झनन झनन झनन झनन झनन झनन बाजे
बाजे
प ग, ग प ध ग, ग प ध नि, ध नि स ध,
ध नि स ध, नि ध, ध ग, प ग, स नि स
कैसे आज मनाऊँ मेरा मन नहीं माने
कहे लाज शर्म के तू छोड़ दे बहाने
कैसे आज मनाऊँ मेरा मन नहीं माने
कहे लाज शर्म के तू छोड़ दे बहाने
वो हैं तेरे तू उनकी है बाकी सारा जग जाने
झनन झनन बाजे
बिछुवा बाजे ननदी जागे
कैसे आऊँ मितवा मोरे
झनन झनन बाजे
झनन बाजे झनन बाजे
झनन न झनन न बाजे
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Jhanan jhanan baaje-Chand aur Suraj 1965
Artist: Tanuja, Asit Sen
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