May 17, 2018

अशयार मेरे यूं तो ज़माने के-मुकेश

मुकेश की गाई एक गैर फ़िल्मी रचना सुनते हैं जिसे
लिखा है जान निसार अख्तर ने. इसकी संगीत रचना
है खय्याम की.




गीत के बोल:

अशयार मेरे यूं तो ज़माने के लिये हैं
अशयार मेरे यूं तो ज़माने के लिये हैं
कुछ शेर फ़कत उनको सुनाने के लिये हैं
कुछ शेर फ़कत उनको सुनाने के लिये हैं

अब ये भी नहीं ठीक के हर दर्द मिटा दें
अब ये भी नहीं ठीक के हर दर्द मिटा दें
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिये हैं
कुछ दर्द कलेजे से लगाने के लिये हैं
अशयार मेरे यूं तो ज़माने के लिये हैं

आँखों में जो भर लोगे तो कांटों से चुभेंगें
आँखों में जो भर लोगे तो कांटों से चुभेंगें
ये ख्वाब तो पलकों पे सजाने के लिये हैं
ये ख्वाब तो पलकों पे सजाने के लिये हैं
अशयार मेरे यूं तो ज़माने के लिये हैं

देखूं तेरे हाथों को तो लगता है तेरे हाथ
देखूं तेरे हाथों को तो लगता है तेरे हाथ
मन्दिर में फ़कत दीप जलाने के लिये हैं
मन्दिर में फ़कत दीप जलाने के लिये हैं
अशयार मेरे यूं तो ज़माने के लिये हैं

सोचो तो बड़ी चीज़ है तहजीब बदन की
सोचो तो बड़ी चीज़ है तहजीब बदन की
वरना तो बदन आग बुझाने के लिये है
वरना तो बदन आग बुझाने के लिये है

अशयार मेरे यूं तो ज़माने के लिये हैं
कुछ शेर फ़कत उनको सुनाने के लिये हैं
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Ashyar mere yun to zamane ke-Mukesh Non film song

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