हाल-ए-दिल मैं क्या कहूँ-उड़न खटोला १९५५
होता था आम जनता के लिए. आज तो आम आबादी की पहुँच में
है विमान में सफर करना. निर्देशक ने बाद में हेलिकॉप्टर नाम की
फिल्म नहीं बनाई. हवाई जहाज को कुछ लोग आज भी उड़न चील
नाम से बुलाते हैं.
सुनते हैं फिल्म से लता मंगेशकर का गाया गीत. शकील बदायूनीं
की रचना है और नौशाद का संगीत.
गीत के बोल:
हाल-ए-दिल मैं क्या कहूँ
मुश्किल है मेरे सामने
हाल-ए-दिल मैं क्या कहूँ
हाल-ए-दिल मैं क्या कहूँ
मुश्किल है मेरे सामने
मुश्किल है मेरे सामने
भोले भाले रूप में
भोले भाले रूप में
क़ातिल है मेरे सामने
क़ातिल है मेरे सामने
हाल-ए-दिल मैं क्या कहूँ
मेरी उम्मीदों की कश्ती
पार हो जाने भी दे
पार हो जाने भी दे
मेरी उम्मीदों की कश्ती
पार हो जाने भी दे
पार हो जाने भी दे
रुक जा ऐ तूफ़ान तू
रुक जा ऐ तूफ़ान तू
साहिल है मेरे सामने
साहिल है मेरे सामने
हाल-ए-दिल मैं क्या कहूँ
जोश कहता है के चल
और होश कहता है संभल
जोश कहता है के चल
और होश कहता है संभल
होश कहता है संभल
किसका कहना मान लूँ
किसका कहना मान लूँ
मंज़िल है मेरे सामने
मंज़िल है मेरे सामने
हाल-ए-दिल मैं क्या कहूँ
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Haal-e-dil main kya kahoon-Udan Khatola 1955
Artist: Nimmi
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