मोहनिया सुन्दर मुखडा खोल-लाल हवेली १९४४
है. फिल्म तो नहीं अलबत्ता एक शब्द से ज़रूर भाषा का
भूत परेशान कर रहा है- गीत में गोल है के खोल है.
वैसे उस समय नूरजहाँ का चेहरा गोल ही नज़र आता
थे. फिल्म में सस्पेंस हो ना हो इस बात में ज़रूर है. वैसे
भी उम्र होने पर कान बजने शुरू हो जाते हैं, भैरवी के
साथ भीमपलासी सुनाई देने लगती है.
सुरेन्द्र और नूरजहाँ ने इस गीत को परदे पर और परदे
के पीछे दोनों जगह गाया है. शम्स लखनवी के बोल हैं
और मीर साहब का संगीत.
गीत के बोल:
मोहनिया सुन्दर मुखडा खोल
मोहनिया सुन्दर मुखडा गोल
सुन्दर मुखडा गोल
मोहनिया सुन्दर मुखडा खोल
पंछी डार डार ना डोल
पंछी डार डार ना डोल
मोहनिया सुन्दर मुखडा खोल
मन को हो किस तरह दिलासा
मन को हो किस तरह दिलासा
कुआं पास और फिर भी प्यासा
कुआं पास और फिर भी प्यासा
रूप बड़ा अनमोल रूप बड़ा अनमोल
सुन्दर मुखडा गोल
मोहनिया सुन्दर मुखडा गोल
हाल जो तेरा वही है मेरा
हाल जो तेरा वही है मेरा
एक जगह दोनों का बसेरा
एक जगह दोनों का बसेरा
प्रेम का अमृत घोल
प्रेम का अमृत घोल
मोहनिया सुन्दर मुखडा खोल
मोहनिया सुन्दर मुखडा गोल
पंछी डार डार ना डोल
पंछी डार डार ना डोल
मोहनिया सुन्दर मुखडा खोल
मोहनिया सुन्दर मुखडा गोल
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Mohaniya sundar mukhda khol-Lal Haveli 1944
Artists: Surendra, Noorjahan
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