हो रामा डर लागे अपनी उमरिया से-आलाप १९७७
असरानी ने गाया है. अमिताब बच्चन को असरानी ट्रेनिंग
दे रहे हैं और इस गीत में डर के प्रकार भी बतलाते हैं.
इस गंभीर किस्म की फिल्म में जो हास्य वाले दुर्लभ दृश्य
हैं उनमें से ये एक है.
गीत राही मासूम रज़ा ने लिखा है और इसका संगीत तैयार
किया है जयदेव ने.
गीत के बोल:
हो रामा डर लागे अपनी उमरिया से
ओ रामा डर लागे
हो रामा डर लागे अपनी उमरिया से
ओ रामा डर लागे
फूँक फूँक के पांव धरूं मैं फिर भी पायल बाजे
ओ रामा फिर भी पायल बाजे
अरे फूँक फूँक के पांव धरूं मैं फिर भी पायल बाजे
ओ रामा फिर भी पायल बाजे
सैयां जी के घर का कोई खड़ा मेरे दरवाजे
खड़ा मेरे दरवाजे
चले जवानी पीछे पीछे चले जवानी
अरे चले जवानी पीछे पीछे बचपन आगे आगे
रामा डर लागे
हो रामा डर लागे अपनी उमरिया से
ओ रामा डर लागे अरे श्यामा डर लागे
अंग अंग में चन्दन महके ये कैसी ऋतु आई
ओ रामा ये कैसी ऋतु आई
अरे अंग अंग में चन्दन महके ये कैसी ऋतु आई
ओ रामा ये कैसी ऋतु आई
चाहे जैसी हवा चले पर मोहे लगे पुरवाई
ओ श्यामा मोहे लगे पुरवाई
नैना दिन भर सपना देखें
नैना अरे नैना अरे नैना
अजी नैना दिन भर सपना देखें काजल रात को डाले
रामा डर लागे
ओ लागे अपनी उमरिया से
ओ रामा डर लागे अरे श्यामा डर लागे
अरे रामा डर लागे
डर किरने प्रकार के होते हैं उनको ख्वाबों में देखिये
लज्जा ईर्ष्या क्रोध वीभत्स हा हा हा
हो रामा डर लागे अपनी उमरिया से
ओ रामा डर लागे अरे श्यामा डर लागे
अरे रामा डर लागे
हो रामा डर लागे अपनी उमरिया से
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Ho rama dar laage apni umariya se-Alaap 1977
Artists: Asrani, Amitabh Bachchan, Rekha
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