आ रात जाती है-बेनाम १९७४
अरसा हो चुका है. आज सुनते हैं फिल्म बेनाम से
आशा भोंसले और रफ़ी का गाया हुआ गीत जिसे
लिखा है मजरूह सुल्तानपुरी ने और जिसकी तर्ज़
बनाई है राहुल देव बर्मन ने.
इस गाने के बोल किसी प्रणय दृश्य के लिए एकदम
सटीक हैं. मगर इसे एक पार्टी में फिल्माया गया है.
गीत के बोल:
आ रात जाती है चुपके से मिल जायें दोनों
चल के कहीं अपनी आग में जल जाएँ दोनों
आ रात जाती है चुपके से मिल जायें दोनों
चल के कहीं अपनी आग में जल जाएँ दोनों
अरे आप क्यूँ पुच हैं आइये हमारे साथ गाइए ना
मौके भी हैं आरजू भी लग जा तू मेरे गले से
रंगीन सी बेखुदी में हो जाम दो साथ ले के
ये बेकरारी का मौसम ये सांस लेता अँधेरा
यूँ डाल जुल्फों के साये फिर ना कभी हो सवेरा
हाथों में ये हाथ ले के मचल जाएँ दोनों
दो रंग जैसे के मिलते हैं मिल जाएँ दोनों
आ रात जाती है चुपके से मिल जायें दोनों
चल के कहीं अपनी आग में जल जाएँ दोनों
आ रात जाती है चुपके से मिल जायें दोनों
चल के कहीं अपनी आग में जल जाएँ दोनों
प्याले में क्या है मुझे तो अपने लबों को पिला दे
बुझ ना सकी जो उम्र भर वो प्यास तू ही बुझा दे
नजदीक तू इतनी आ जा सीने में पड़ जाए हलचल
दे के बदन का सहारा मुझको उडाये लिए चल
खो जाएँ ऐसे के फिर न संभल पायें दोनों
तड़पें कुछ आज इस तरह से बहक जाएँ दोनों
आ रात जाती है चुपके से मिल जायें दोनों
ला ला ला ला ला ला ला
चल के कहीं अपनी आग में जल जाएँ दोनों
आ रात जाती है चुपके से मिल जायें दोनों
ला ला ला ला ला ला ला
चल के कहीं अपनी आग में जल जाएँ दोनों
ला ला ला ला ला ला ला
आ रात जाती है चुपके से मिल जायें दोनों
ला ला ला ला ला ला ला
चल के कहीं अपनी आग में जल जाएँ दोनों
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Aa raat jaati hai-Benaam 1974
Artists: Helen, Amitabh Bachchan, Mousami Chatterji
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