आई आई घड़ी ये सुहानी-दिल १९४६
सुहानी घडी होती है जब मन में सब घंटे घड़ियाल
बजना शुरू हो जाते हैं. साँसों में सारे तार वाद्यों की
आवाजें आना शुरू हो जाती हैं. दिल की उमंगें कूद
कर बाहर आने को बेताब रहती हैं.
नूरजहाँ का गाया हुआ गान सुनते हैं फिल्म दिल से
जिसे शम्स लखनवी ने लिखा है और इसकी तर्ज़
तैयार की है ज़फर खुर्शीद ने. फिल्म में दो और
गीतकारों ने गीत लिखे हैं-अर्श हैदरी और राज़ीउद्दीन
ने. हम मान लेते हैं इसे शम्स लखनवी ने लिखा है
जब तक कोई ठोस प्रमाण नहीं मिल जाए.
गीत के बोल:
आई आई घड़ी ये सुहानी
आई आई घड़ी ये सुहानी
गया मेरा बचपन अब आई जवानी
गया मेरा बचपन अब आई जवानी
आई आई
आई आई घड़ी
आई आई घड़ी ये सुहानी
आई आई घड़ी ये सुहानी
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
बागों में जाऊँ फूलों से खेलूँ
बागों में जाऊँ फूलों से खेलूँ
बुलबुलों की सुनूँ मैं कहानी
बुलबुलों की सुनूँ मैं कहानी
आई आई घड़ी
आई आई घड़ी ये सुहानी
आई आई घड़ी ये सुहानी
देखूँ तो
देखूँ तो गुल और कली
गाती है क्या रागिनी
देखूँ तो
देखूँ तो गुल और कली
गाती है क्या रागिनी
दुनिया में क़ायम मुहब्बत रहेगी
दुनिया में क़ायम मुहब्बत रहेगी
बाक़ी है जो कुछ वो फ़ानी
बाक़ी है जो कुछ वो फ़ानी
आई आई घड़ी
आई आई घड़ी ये सुहानी
आई आई घड़ी ये सुहानी
गया मेरा बचपन अब आई जवानी
गया मेरा बचपन अब आई जवानी
आई, आई
आई आई घड़ी
आई आई घड़ी ये सुहानी
आई आई घड़ी ये सुहानी
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Aai aai ghadi ye suhani-Dil 1946
Artist: Noorjahan
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