प्यार ज़िन्दगी है-मुक़द्दर का सिकंदर १९७८
का प्रतिनिधित्व करता है इसे समझने के लिए आपको उस
समय के समाज और रहन सहन के स्तर को फिल्म से
कम्पेयर कर के देखना होगा.
सिनेमा अगर गरीब तबके को दिखाता है तो उस समय के
गरीब इतने समर्थ नहीं थे के महँगी जैकेट पहन सकें. वो तो
रईसों के पहुँच के भी बाहर थीं. उसके अलावा मोटर साइकिल
तो क्या अधिकाँश गरीबों की पहुँच में साइकिल भी नहीं हुआ
करती थी.
फ़िल्मी रईस भी जो दिखाई देते हैं वे महानगर की लाइफ
स्टाइल को फ़ॉलो करने वाले धनाढ्य हैं. इस बम्बई दिल्ली
के बीच ही देश का सारा दर्शन हो जाता है. फ़िल्में बम्बैया
दुनिया दिखलाती है और मीडिया नेशनल केपिटल रीज़न
का हाल. इसके अलावा देश में दूसरे हिस्से हैं ही नहीं, या
हैं भी तो उल्लेखनीय नहीं हैं.
सुनते हैं फिल्म से अगला गीत महेंद्र कपूर, लता मंगेशकर
और आशा भोंसले की आवाजों में.
गीत संगीत अनजान और कल्याणजी आनंदजी का है.
गीत के बोल:
प्यार ज़िन्दगी है प्यार बंदगी है बंदगी है
यहल्ला यहल्ला ऊ या अल्लाह
प्यार से प्यार करो ये उम्र प्यार की है
प्यार बिना क्या जीना ये भी कोई ज़िन्दगी है
प्यार से प्यार करो ये उम्र प्यार की है
प्यार करम प्यार दुआ प्यार सितम प्यार वफ़ा
प्यार से जुदा तो यहाँ कोई नहीं कोई नहीं
प्यार खुशी प्यार नशा क्या वो नजर क्या वो अदा
हो किसी के प्यार में जो कोई नहीं कोई नहीं
दिल को लगा के देखो प्यार में क्या खुशी है
प्यार बिना क्या जीना ये भी कोई ज़िन्दगी है
प्यार से प्यार करो ये उम्र प्यार की है
दूर रहे पास रहे दिल में तेरे प्यास रहे
तेरे लिये मैं हूँ तू है मेरे लिये मेरे लिये
प्यार सनम प्यार खुदा यार कभी हो ना जुदा
यार बिना कोई यहाँ कैसे जिये कैसे जिये
बाहों में यार के ही दुनिया बहार की है
प्यार से प्यार करो ये उम्र प्यार की है
देख हमें कोई जले कोई जले हाथ मले
तू जो मेरे साथ चले लोगों से क्या डरना यहाँ
प्यार यहाँ जो ना करे ख़ाक जिये ख़ाक मरे
यार मेरे तेरे लिये जीना यहाँ मरना यहाँ
मर के भी ना मिटे जो ये वो दीवानगी है
प्यार से प्यार करो ये उम्र प्यार की है
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Pyar zindagi hai-Muqaddar ka sikandar 1978
Artists: Vinod Khanna, Rakhi, Amitabh Bachchan
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