बेदर्द तेरे दर्द को सीने से लगा के-पद्मिनी १९४८
बेहतरीन गीत जिसे वली साहब ने लिखा है.
इसकी धुन तैयार की है गुलाम हैदर ने. गुलाम हैदर के
गानों में लता का उच्चारण साफ़ मिलता है. गाना समय
के हिसाब से अलग तरीके से गाया गया है. इसमें हर
अंतरे के बाद मुखडा पूरा रिपीट होता है. आधी पंक्ति,
आधा मुखडा जैसी इसमें कोई चीज़ सैंडविच नहीं है.
गीतों की उपयुक्त श्रेणी क्या हुई-बेदर्द हिट्स ऑफ कोर्स.
गीत के बोल:
बेदर्द तेरे दर्द को सीने से लगा के
रो लेंगे तसव्वुर में तुझे पास बिठा के
बेदर्द तेरे दर्द को सीने से लगा के
रो लेंगे तसव्वुर में तुझे पास बिठा के
जब दूर थी उनसे मैं बहुत पास थी उनके
क्यूँ दूर किया था यूँ मुझे पास बुला के
बेदर्द तेरे दर्द को सीने से लगा के
रो लेंगे तसव्वुर में तुझे पास बिठा के
बरबाद भी हो के न करेंगे तेरा शिकवा
बरबाद भी हो के न करेंगे तेरा शिकवा
हँस लेंगे गये वक़्त को हम सामने ला के
बेदर्द तेरे दर्द को सीने से लगा के
रो लेंगे तसव्वुर में तुझे पास बिठा के
ठण्डक उन्हें मिलती है अगर मेरी जलन से
ठण्डक उन्हें मिलती है अगर मेरी जलन से
देखूँगी तमाशा मैं भरे घर को जला के
बेदर्द तेरे दर्द को सीने से लगा के
रो लेंगे तसव्वुर में तुझे पास बिठा के
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Bedard tere dard ko-Padmini 1948
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