मेरे सनम मुझको तेरी कसम-गुप्त १९९७
गाना सुनते हैं जो फिल्म गुप्त से है. गुप्त के गीतों के अंदर
जो गुप्त है वो ये है कि कुछ गाने इस फिल्म के लगते ही
नहीं हैं.
दूसे गीतों से ये थोडा अलग है क्यूंकि इसमें खुद ही कसम
खायी जा रही है. गीतकार कसमें दिला दिला के बोर हो गये
तो उन्होंने अब नया मोड निकला है जिसमें खुद ही खा लो
कसम.
भविष्य के किसी गीत में हमें सुनाई देगा-कसम खा लो रे,
कसमें उड़ी, कसमें झूलीं, कसमें फूलीं.
इस खूबसूरत गीत को कविता कृष्णमूर्ति ने गाया है. आनंद
देने वाले बक्षी साहब इसके रचयिता हैं और कल्याणजी भाई
के पुत्र विजू ने इसकी धुन तैयार की है.
गीत के बोल:
मेरे सनम मुझको तेरी कसम
तुझसे बिछड़ कर मर जाएंगे हम
के मरने से पहले जी लें ज़रा हम
मेरे सनम मुझको तेरी कसम
ऐसी लगी है ये दिल की लगी
सावन कई बरसे ये ना बुझी
इस आग में एक दिन जल जाएंगे हम
के मरने से पहले जी लें ज़रा हम
इधर आ तुझे मैं गले से लगा लूं
तुझे अपनी आँखों का काजल बना लूं
हज़ारों है बातें मगर वक़्त है कम
के मरने से पहले जी लें ज़रा हम
ये प्यासी मुहब्बत ये प्यासी जवानी
अधूरी अधूरी ये दिल की कहानी
झुकी हुई है रात ये रुकी हुई है बात ये
ये चाँदनी रात आगे चले
हो कुछ प्यार की बात आगे चले
कब कौन जाने कहां चला जाए
मौसम यहां से वहां चला जाए
ऐसा न हो ये समा चला जाए
झुकी हुई है आँख भी रुकी हुई है साँस भी
कुछ तो मुलाकात आगे चले
हो कुछ प्यार की बात आगे चले
बोले ये नज़र ये जुबां चली जाए
ये दिल गया अब ये जां चली जाए
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Mere sanm mujhko teri kasam-Gupt 1997
Artist: Bobby Deol, Manisha Koirala
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