तुम मेरी ज़िंदगी में-बॉम्बे टू गोवा १९७२
में धामल मचाया था. ये सिलसिला सन १९७२ की
फिल्म बॉम्बे टू गोवा में भी चला. इस फिल्म से
एक मधुर युगल गीत सुनते हैं.
लता और किशोर के गाये इस गीत को आपने कई
बार सुन लिया होगा मगर इस बार इसके बोल ध्यान
से सुनें आपको कुछ अनूठापन लगेगा. शब्द वही होते
हैं मगर उनकी जमावट सब अंतर पैदा करती है.
मैदा वही होता है मगर जलेबियां सभी से नहीं बना
करतीं. हमने मीठी चीज़ का उदाहरण देना था और
किसी सरल सिंपल चीज़ के साथ अतः जलेबी का
नाम लिया. चाहते तो हम डो-नट को भी याद कर
सकते थे.
गीत के बोल:
तुम मेरी ज़िंदगी में कुछ इस तरह से आये
भूला सा ख़्वाब जैसे सच हो के मुस्कराये
हो ओ ओ ओ तुम मेरी ज़िंदगी में हो हो
कुछ इस तरह से आये
हो ओ ओ ओ भूला सा ख़्वाब हो हो
जैसे सच हो के मुस्कराये
भूली बिसरी कितनी यादें आज गले मिलने आई हैं
अंजानी बाहों से चुन कर कलियाँ दामन में लाई हैं
इतने सुहाने सफ़र की कभी मंज़िल ना आने पाये
हो ओ ओ ओ ओ तुम मेरी ज़िंदगी में हो हो
कुछ इस तरह से आये
भूला सा ख़्वाब जैसे हूँ हूँ सच हो के मुस्कराये
रुकती बढ़ती दिल की धड़कन कहती है कितने अफ़साने
दिल के सागर कितने गहरे दिल ही समझे दिल ही जाने
आये समझ में ये राज़ तब जब उम्र बीत जाये
हो ओ ओ ओ तुम मेरी ज़िंदगी में हो हो
कुछ इस तरह से आये
हो ओ ओ ओ ओ भूला सा ख़्वाब हो हो
जैसे सच हो के मुस्कराये
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Tum meri zindagi mein-Bombay to Goa 1972
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