Sep 1, 2018

सुन रे सजन....नरम करेजवा-आरजू १९५०

गीत याद आने की कुछ अजीब वजहें भी होती हैं.
किसी गीत में नरम शब्द होता है तो अमोल पालेकर
की फिल्म नरम गरम याद आ जाती है और याद
आती है नरम भिन्डी.

गीत में नरम करेजवा की बात हो रही है. वो डोलता
भी है. कमजोर है, नाजुक है तो हिलेगा डुलेगा तो सही.
डोलना शब्द एक नियमित लय में कोई चीज़ हिलती
है उसके लिए प्रयुक्त होता है. जैसे पेंडुलम डोलता है.
थाली में बैंगन लुडकता है. नरम करेजवा क्या यहाँ
तो पूरा शरीर डोल रहा है और नायिका के गायकी से
आन्दोलित नायक की बांसुरी भी लय में आ गयी. बस
ढोलकिये के झाडी में से प्रकट होने का इंतज़ार है.

प्रेम धवन की लिखी रचना सुनते हैं लता मंगेशकर की
मधुर आवाज़ में जिसे संगीतबद्ध किया है अनिल बिश्वास
ने.



गीत के बोल:

सुन रे सजन सुन सुन मन की बतिया रे
नैनों को भाय गयली तोरी सुरतिया
आ आ आ आ आ आ आ आ

मेरा नरम करेजवा डोल गया
कोई प्यार की बोली बोल गया
मेरा नरम करेजवा डोल गया

छुप छुप के कोई आता है
और प्रेम की बंसी बजाता है
और प्रेम की बंसी बजाता है
 नस नस में अमृत घोल गया
मेरा नरम करेजवा डोल गया
नस नस में अमृत घोल गया
मेरा नरम करेजवा डोल गया

तन मन की सुध बुध खो बैठी
मैं आज किसी की हो बैठी
मैं आज किसी की हो बैठी
कोई नैनन से दिल तोल गया
मेरा नरम करेजवा डोल गया
कोई नैनन से दिल तोल गया
मेरा नरम करेजवा डोल गया

मोहे अँखियों ने बदनाम किया
मोहे अँखियों ने बदनाम किया
मेरी प्रीत का चर्चा आम किया
मेरी प्रीत का चर्चा आम किया
कोई लाज का घूँघट खोल गया
मेरा नरम करेजवा डोल गया
कोई लाज का घूँघट खोल गया
मेरा नरम करेजवा डोल गया

कोई प्यार की बोली बोल गया
मेरा नरम करेजवा डोल गया
…………………………………………………
Sun re sajan..naram karejwa-Arzoo 1950

Artist: Kamini Kaushal

2 comments:

शैलजा,  April 15, 2020 at 7:49 PM  

आपको फिल्म आरज़ू के गानों के साथ सब्जियां क्यूँ याद आती हैं !!

Geetsangeet April 18, 2020 at 7:32 PM  

हा हा हा, फिल्म इंडस्ट्री की बहुत सी चीज़ों को देख के आती हैं.
शाहरुख खान ने जबसे सब्जियों का विज्ञापन किया तबसे उसे देख
के सब्जियां ही याद आती हैं.

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP