मैं ज़िंदगी में हरदम-बरसात १९४९
है तो दूजा रफ़ी की आवाज़ में है.
फिल्म में इमोशंस की बरसात है, सिनेमा संगीत के ट्रेंड चेंज
का बिगुल है, मौसमी बरसात है और तो और गानों की बरसात
भी है.
जिन दोनों दर्द भरे गीतों की बात हो रही है ऊपर दोनों ही
हसरत जयपुरी ने लिखे हैं. फिल्म में अधिकाँश गीत उनके
ही हैं. पतली कमर, तिरछी नज़र वाला दोरंगा गीत शैलेन्द्र
ने लिखा है. दो तरह के इमोशंस वाला ये गीत काफी अनूठा
था उस समय के हिसाब से.
सुनते हैं रफ़ी की आवाज़ में ये गीत. गीत में धुआं उठ रहा
है. ये लकडियों के जलने का धुआं है या दिल से उठने वाला?
गीत के बोल:
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
रोता ही रहा हूँ तड़पता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
उम्मीद के दिये बुझे दिल में है अंधेरा
जीवन का तो साथी न बना कोई भी मेरा
जीवन का तो साथी न बना कोई भी मेरा
फिर किस के लिये
फिर किस के लिये आज मैं जीता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
रह रह के हँसा है मेरी हालत पे ज़माना
रह रह के हँसा है मेरी हालत पे ज़माना
क्या दुःख है मुझे ये तो किसी ने भी न जाना
क्या दुःख है मुझे ये तो किसी ने भी न जाना
ख़ामोश
ख़ामोश मोहब्बत लिये फिरता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
आई न मुझे रास मोहब्बत की फिज़ायें
आई न मुझे रास मोहब्बत की फिज़ायें
आई न मुझे रास मोहब्बत की फिज़ायें
शरमाई मेरी आँख से सावन की घटायें
लहरों में सदा
लहरों में सदा ग़म की मैं बहता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
रोता ही रहा हूँ तड़पता ही रहा हूँ
मैं ज़िंदगी में हरदम रोता ही रहा हूँ
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Main zindagi mein hardam-Barsaat 1949
Artists: Raj Kapoor, Nargis
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