तुम्हारी नज़र क्यों खफ़ा-दो कलियाँ १९६८
भी एक ऐसा की वार्ड है जिसके इर्द गिर्द ढंग का गाना
बुना जाए तो वो हिट हो सकता है. ये बात मैं उदाहरणों
के आधार पर कह सकता हूँ. ज़रूरी नहीं नज़र शब्द ही
मुखड़े में घुसेड देने मात्र से गाना हिट की गारंटी बनेगा.
एक बेदम धुन और नाक से गाने वाले को पकड़ा दो
गाना-हिट ना होने की सौ फीसदी गारंटी.
दो कलियाँ से ये लोकप्रिय युगल गीत सुनते हैं और लता
रफ़ी की आवाजों में. हमें ऐसा क्यूँ लगता है परदे पर गा
रहे कलाकार चिड़िमार नज़र आते अगर ऐसी सधी हुई
और मधुर आवाजों वाले गायक ना होते ?
गीत के बोल:
तुम्हारी नज़र क्यूं खफ़ा हो गई
खता बख्श दो गर खता हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूं खफ़ा हो गई
खता बख्श दो गर खता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी न था
तुम्हारी खता खुद सज़ा हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी न था
तुम्हारी खता खुद सज़ा हो गई
सज़ा ही सही आज कुछ तो मिला है
सज़ा में भी इक प्यार का सिलसिला है
सज़ा ही सही आज कुछ तो मिला है
सज़ा में भी इक प्यार का सिलसिला है
मोहब्बत का अब कुछ भी अंजाम हो
मुलाक़ात की इब्तदा हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूं खफ़ा हो गई
खता बख्श दो गर खता हो गई
हमारा इरादा तो कुछ भी न था
तुम्हारी ख़ता खुद सज़ा हो गई
मुलाक़ात पे इतने मगरूर क्यूं हो
हमारी ख़ुशामद पे मजबूर क्यूं हो
मुलाक़ात पे इतने मगरूर क्यूं हो
हमारी ख़ुशामद पे मजबूर क्यूं हो
मनाने की आदत कहा पड़ गई
ख़ताओं की तालीम क्या हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूं खफ़ा हो गई
ख़ता बख्श दो गर ख़ता हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूं खफ़ा हो गई
ख़ता बख्श दो गर ख़ता हो गई
सताते न हम तो मनाते ही कैसे
तुम्हें अपने नज़दीक लाते ही कैसे
सताते न हम तो मनाते ही कैसे
तुम्हें अपने नज़दीक लाते ही कैसे
इसी दिन का चाहत को अरमान था
कबूल आज दिल की दुआ हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूं खफ़ा हो गई
ख़ता बख्श दो गर ख़ता हो गई
तुम्हारी नज़र क्यूं खफ़ा हो गई
ख़ता बख्श दो गर ख़ता हो गई
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Tumhari nazar kyun khafa-Do kaliyan 1968
Artists: Biswajeet, Mala Sinha
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