आज की ताज़ा खबर-पत्थर १९८५
की आवाज़ में. गीतकार सुदर्शन के लिखे गीत की तर्ज़ बनाई है
राम लक्ष्मण ने.
गीत सामाजिक समस्या पर बना गीत है और इसमें वर्त्तमान हालत
का चित्रण है. आज भी ये गीत उतना ही प्रासंगिक है. जिस समाज
में नारी का सम्मान ना हो उस समाज की उन्नति और प्रगति किस
काम की.
गीत के बोल:
ओ ओ ओ ओ ओ
जिंदा अखबार हूँ मैं ज़ुल्म का शिकार हूँ मैं
जिंदा अखबार हूँ मैं ज़ुल्म का शिकार हूँ मैं
एक बेबस सत्ताई अबला की पुकार उन मैं
ढूँढता है
ढूँढता है एक भाई बहन को डगर डगर
आज की ताज़ा खबर आज की ताज़ा खबर
आज की ताज़ा खबर आज की ताज़ा खबर
कोई पापी कुचल गया एक राखी को
कोई पापी कुचल गया एक राखी को
लिए सूनी कलाई एक भाई रोता है
सोचने जैसी बात है के आज दुनिया में
दिन दहाड़े बेबसों पे सितम होता है
इन हवाओं में
इन हवाओं में किसने ग्जोल दिया ज़हर
आज की ताज़ा खबर आज की ताज़ा खबर
आज की ताज़ा खबर आज की ताज़ा खबर
फीसे से औरत खिलौना बन गयी है दुनिया में
कोई भी उसकी आबरू से खेल जाता है
भूल जाता है आदमी उसका औरत से
माँ बहन बेटी के जैसा पवित्र नाता है
टूटे सपनों से
टूटे सपनों से ये रिश्ते कहीं जाए ना बिखर
आज की ताज़ा खबर आज की ताज़ा खबर
आज की ताज़ा खबर आज की ताज़ा खबर
भीड़ में कोई खो गया है ढूँढता कोई
शोर इतना है कि आवाज़ डूब जाती है
कोई भाई जो वादा अपना याद करता है
बहन की डोली निगाहों में उभर आती है
मेरे मालिक
मेरे मालिक गरीब की दुवाओं को दे असर
आज की ताज़ा खबर आज की ताज़ा खबर
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Aaj ki taaja khabar-Patthar 1985
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