मेरे दिल की दुनिया उजड गई-शांति १९४७
ये तो फिलोसफी की बात है. वास्तविकता भिन्न भी हो सकती है.
एक पहलू ये है कि मन की शांति के कारण आपको बाहरी उथल
पुथल से असर नहीं होता और होता भी है तो नगण्य मात्रा में.
सुनते हैं एस यू सनी निर्देशित फिल्म शांति से एक गीत जिसे उस
समय की एक जानी पहचानी गायिका पारुल घोष ने गाया है. यह
गीत लिखा है शकील बदायूनीं ने और संगीत बी एस ठाकुर का.
गीत के बोल:
मेरे दिल की दुनिया उजड गई
मेरे दिल की दुनिया उजड गई
मैं करूं तो किससे गिला करूं
ना वही मेरे ना जहाँ मेरा
कहाँ जाऊं हाय मैं क्या करूं
मेरे दिल की दुनिया उजड गई
है ज़माना मुझसे खफा खफा
है ज़माना मुझसे खफा खफा
कहीं ज़ुल्म है तो कहीं दगा
कहीं ज़ुल्म है तो कहीं दगा
नहीं राह जैसी कोई जगह
जहाँ छुप के रो ही लिया करूं
ना वही मेरे ना जहां मेरा
कहाँ जाऊं हाय मैं क्या करूं
मेरे दिल की दुनिया उजड गई
प्रभु मुझ गरीब की जान पर
ये जफान और मुसीबतें
प्रभु मुझ गरीब की जान पर
ये जफान और ये मुसीबतें
ये बाला ना लौट के आ सके
कहो मर ना जाऊं तो क्या करूं
ना वही मेरे ना जहाँ मेरा
कहाँ जाऊं हाय मैं क्या करूं
मेरे दिल की दुनिया उजड गई
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Mere dil ki duniya ujad gayi-Shanti 1947
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