न मुँह छुपा के जियो-हमराज़ १९६७
गीत हों या गैर फ़िल्मी गीत, अपना प्रभाव छोड़ते ज़रूर हैं. ध्यान से सुनने
कीऔर समझने की आवश्यकता भर होती है.
सुनील दत्त वाली फिल्म हमराज़ से एक गाना सुनते हैं जिसके बोल साहिर
के हैं और संगीत रवि का.
गीत का सन्देश अच्छा है विशेषकर उनके लिए जो महत्वाकांक्षी हैं और
जिन्हें अपने जीवन में बहुत ऊंचे पर जाने की तमन्ना है. पब्लिक फिगर
जो बनना चाहते हैं उन्हें तो सार्वजनिक होना ही पड़ता है.
इसका मतलब ये नहीं कि हर आदमी अपने पोस्टर ले के सड़क पर दौड़
लगाते फिरे. समाज में कई लोग ऐसे भी हैं जो चुप चाप अपना काम करते
हैं और ड्रामेबाज जनता के लिए सन्देश देते रहते हैं. ऐसे लोग ना हों तो
आम जनता के समझ ही नहीं पड़े कि सही क्या है और गलत क्या.
हर जगह और हर ट्रीवियल बात के लिए अपने ट्रंप कार्ड नहीं खोले जाते,
हैं ना लुटियन मीडिया के गुप्त और सुप्त पाठकों. फोटो देखने का शौक हो
तो महात्माओं की फोटो देखो असली फायदा तभी होगा. फ़ना का एक
अर्थ पूर्ण विनाश अथवा बर्बादी भी होता है.
गीत के बोल:
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो
ग़मों का दौर भी आये तो मुस्कुरा के जियो
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो
घटा में छुप के सितारे फ़ना नहीं होते
अँधेरी रात में दिये जला के चलो
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो
ये ज़िंदगी किसी मंज़िल पे रुक नहीं सकती
हर इक मुक़ाम पे क़दम बढ़ा के चलो
न मुँह छुपा के जियो और न सर झुका के जियो
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Na moonh chhipa ke jiiyo-Hamraaz 1967
Artist: Sunil Dutt
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