आँख मिलने का बहाना हो गया-लेडी डॉक्टर १९४४
आई सन १९४४ में. नर्स पहले आ गयी सन १९४३ में.
हॉस्पिटल भी पहले आ गया सन १९४३ में. कम्पाउन्डर
को किसी ने नहीं पूछा कब आएगा.
सुनते हैं हमीदा बानो और स्नेहल भाटकर का गाया एक
युगल गीत जिसे लिखा है वली साहब ने और इसकी धुन
तैयार की अनिल बिश्वास ने.
गीत के बोल:
आँख मिलने का बहाना हो गया
हो गया
आँख मिलने का बहाना हो गया
हो गया
दिल बेगाना था बेगाना था
बेगाना हो गया
आँख मिलने का बहाना हो गया
तीर टेढ़ा उसने फेंका था मगर
तीर टेढ़ा उसने फेंका था मगर
आगे बढ़ के दिल निशाना हो गया
हो गया
आगे बढ़ के दिल निशाना हो गया
इंतज़ारी में क़यामत आ गई
इक क़यामत उनका आना हो गया
हो गया
इक क़यामत उनका आना हो गया
जब से तुम मेरे हुए हो ए हुज़ूर
ए हुज़ूर
जब से तुम मेरे हुए हो ए हुज़ूर
ए हुज़ूर
तब से दुश्मन कुल ज़माना हो गया
हो गया
तब से दुश्मन कुल ज़माना हो गया
उनको देखा और फिर देखा 'वली'
बात इतनी थी फ़साना हो गया
हो गया
बात इतनी थी फ़साना हो गया
हो गया
आँख मिलने का बहाना हो गया
..........................................................
Aankh mmilne ka bahana-Lady doctor 1944
Artist:
0 comments:
Post a Comment