राजू चल राजू-आज़ाद १९७८
अपना हाथ साफ़ करने का वो मिला आज़ाद में. हमारा
आशय उन विशेष धुनों से है जिनमें उनके वाद्य यंत्रों
का संयोजन अनूठा है. शोले फिल्म की शीर्षक धुन के
लिए काफी मेहनत की गई थी.ये गीत उसी का एक
एक्सटेंशन जैसा सुनाई देता है.
किशोर कुमार ने इस गीत को गाया है और परदे पर
धर्मेन्द्र इस पर घुड़सवारी कर रहे हैं. पूरे गीत में कोई
जिए या मरे की बात हो रही है मगर तीसरे अंतरे में
कुछ जिक्र है जो कंट्रेडिकट्री सा है. फिल्म है इसलिये
कंट्रेडिकशन, डिक्शन और डिक्शनरी सब बाजू में रख
दीजिये.
गीत के बोल:
राजू चल राजू
राजू चल राजू अपनी मस्ती में तू
कोई जिये या मरे क्या हमको बाबू
राजू चल राजू अपनी मस्ती में तू
कोई जिये या मरे क्या हमको बाबू
माना के हसीं हैं दुनिया के मेले
अब तो हम रहेंगे मेले में अकेले
माना के हसीं हैं दुनिया के मेले
अब तो हम रहेंगे मेले में अकेले
जब तक न हो जाये अपना दिल बेक़ाबू
राजू चल राजू
राजू चल राजू अपनी मस्ती में तू
कोई जिये या मरे क्या हमको बाबू
जग में जो बुरा है हम देखें ना सुनें
काँटों को हटा के फूलों को हम चुनें
जग में जो बुरा है हम देखें ना सुनें
काँटों को हटा के फूलों को हम चुनें
सब दुनिया बेगानी दो अपने मैं और तू
राजू चल राजू
राजू चल राजू अपनी मस्ती में तू
कोई जिये या मरे क्या हमको बाबू
परियाँ ये कहाँ से चली आईं गाँव में
आये नींद हाय ज़ुल्फ़ों की छाँव में
परियाँ ये कहाँ से चली आईं गाँव में
आये नींद हाय ज़ुल्फ़ों की छाँव में
हम पे न चल जाये इन ज़ुल्फ़ों का जादू
राजू चल राजू
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Raju chal raju-Azaad 1978
Artist: Dharmendra
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