मैं लैला का मजनू-आज़ाद १९७८
ने गाया है. इसकी धुन बाने के पहले संगीतकार ने ज़ोरो
और हुड फिल्मों की जगह कोई टार्ज़न की फिल्म देख
ली थी ऐसा मेरा अनुमान है. इस फिल्म के कुछ हिस्से
देख के मुझे ऐसा लगता है मानो चिनप्पा देवर ने फिल्म
के लिए गेस्ट डायरेक्टर का काम किया हो.
बरसों पहले बनी दिलीप कुमार वाली आज़ाद में शीर्षक
गीत नहीं थे उस गलती को इस फिल्म में सुधारा गया
है और टार्ज़न वाली आवाजें जनता को कन्फ्यूज करने
के लिए डाली गई हैं. निर्देशक ने कहा होगा-जनता फिल्म
देखते देखते सो जाती है, कुछ ऐसा करो कि जनता
जगी रहे, और तैयार हो गया ये गीत. उस ज़माने में
आर डी बर्मन को अपने फैन अन्नू मलिक की प्रतिभा
के बारे में शायद मालूम नहीं था अन्यथा वे ऐसी
आवाजों के लिए अन्नू की आवाज़ का प्रयोग कर सकते
थे.
आनंद बक्षी की रचना है और आर डी बर्मन का संगीत.
गायक को आप पहचानते ही हैं.
गीत के बोल:
मैं लैला का मजनू शीरी का फ़रहाद
मैं हूँ सबसे पहले अरे सब हैं मेरे बाद
मैं आज़ाद मैं आज़ाद
मैं लैला का मजनू शीरी का फ़रहाद
मैं हूँ सबसे पहले अरे सब हैं मेरे बाद
मैं आज़ाद मैं आज़ाद
पहले बनो निशाना फिर तुम तीर चलाना
थाम के अपने दिल को फिर तुम सामने आना
अरे पहले बनो निशाना फिर तुम तीर चलाना
थाम के अपने दिल को फिर तुम सामने आना
तुम जैसे देखे है मैंने बड़े सैयाद
मैं लैला का मजनू शीरी का फ़रहाद
मैं आज़ाद मैं आज़ाद
मुझसे बच के रहना बात बिगड़ जायेगी
सारी रात कसम से तुमको नींद नहीं आयेगी
अरे मुझसे बच के रहना बात बिगड़ जायेगी
सारी रात कसम से तुमको नींद नहीं आयेगी
भूल ना पाओगी तुम मैं आऊंगा याद
मैं लैला का मजनू शीरी का फ़रहाद
मैं आज़ाद मैं आज़ाद
इन आँखों के रस्ते दिल में बस जाउँगा
तुम नागिन तो मैं सपेरा तुमको डस जाउँगा
इन आँखों के रस्ते दिल में बस जाउँगा
तुम नागिन तो मैं सपेरा तुमको डस जाउँगा
अब करती हो गुस्सा फिर करना फरियाद
मैं लैला का मजनू शीरी का फ़रहाद
मैं आज़ाद मैं आज़ाद
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Main Laila ka Majnu-Azaad 1978
Artists: Dharmendra, Hema Malini
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