Sep 8, 2019

शरमा के यूँ न देख-नीलकमल १९६८

हिंदी फिल्म संगीत क्षेत्र में विविधता भी है जो भेड़चाल
और रूटीन मैलोडीज़ के बीच कहीं गुम सी लगती हैं.
मगर संगीत प्रेमी इन्हें खोज ही लेते हैं. जो रसिक हैं
उन के कानों तक ये कैसे भी पहुँच ही जाती है.

कितना भी नाकासुर नाक से रम्भायें, उड़द डॉल्स गायकी
के ठुमके लगायें, पहाड़ पर चढ़ के जोर से गाने वाले
चीखें चिल्लायें संगीत की विरासत को कालपात्र में दबाने
का जतन कर लें संगीत रसिकों को भ्रमित नहीं कर सकते.

समय सब चीज़ों को उजागर करता चलता है. किसी चीज़
पर धूल जमी हो तो उसे समय की आंधी साफ़ कर दिया
करती है. धूल को पुताई से ढंकने की कोशिश में कलई
कुछ समय उपरांत पपड़ियाँ बन के खुल जाती है.

फिल्म नीलकमल से इस वाद्य-वृन्द रचना को सुनते हैं
जिसमें बोल कम हैं और भाव ज्यादा. साहिर के बोल हैं,
रवि का संगीत और रफ़ी की आवाज़.




गीत के बोल:


शरमा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से
शरमा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से
अब बात बढ़ चुकी है नज़र के मकाम से

तस्वीर खींच ली है तेरे शोख हुस्न की
तस्वीर खींच ली है तेरे शोख हुस्न की
मेरी नज़र ने आज खता के मकाम से

दुनिया को भूल कर मेरी बाहों में झूल जा
आवाज़ दे रहा हूँ वफ़ा के मकाम से

दिल के मुआमले में ज़तीजे की फ़िक्र क्या
आगे है इश्क जुर्म-ओ-सज़ा के मकाम से
शरमा के यूँ न देख अदा के मक़ाम से
……………………………………………….
Sharma key un na dekh-Neelkamal 1968

Artists: Waheeda Rehman, Rajkumar

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