Sep 6, 2019

पहले झुक कर करो सलाम-डोली १९६९

हिंदी सिनेमा काफी समय तक पुरुष प्रधान सोच को
ही परदे पर दर्शाता रहा. त्याग, समर्पण, स्नेह, प्रेम
जैसे भाव नारियों के ही लिए हैं ये बतलाता रहा. कुछ
गिनी चुनी ही फ़िल्में आईं जिनमें वो प्रगतिशील दिखलाई
दी.

अनेक फिल्मों में सामाजिक कुरीतियों जैसे दहेज प्रथा
को दिखलाया जाता रहा मगर समस्या पूर्ती के अभाव
के साथ. विधवा विवाह पर भी कुछ सार्थक फ़िल्में बनी
मगर उनमें भी अभिव्यक्ति की हिचक कायम रही. फिल्म
का कमर्शियल पहलू कई बार विद्रोह और समाज सुधार
को दबे शब्दों में और प्रतीकात्मक तरीके से समझाता
है. इस डर से कि फिल्म की लागत निकालना मुश्किल
ना हो जाये.

इस फिल्म की नायिका समय के हिसाब से थोडा आगे
है और वो नौकरी भी करती है. घुट घुट के जीने और
रो कर जिंदगी गुज़ारने में उसका विश्वास नहीं है.

सुनते हैं आशा भोंसले की आवाज़ में ये मनोरंजक गीत



गीत के बोल:

हा हा हा हा
ना ना ना

पहले झुक कर करो सलाम फिर बतलाओ अपना नाम
अदब से बोलो क्या है नाम ओ मिस्टर गुलफ़ाम
याल्ला लू
पहले झुक कर करो सलाम फिर बतलाओ अपना नाम
अदब से बोलो क्या है नाम ओ मिस्टर गुलफ़ाम
याल्ला लू
पहले झुक कर करो सलाम

शाम सवेरे मेरी गली के सौ सौ फेरे क्या मतलब
अच्छी सूरत जहाँ भी देखी डाले डेरे क्या मतलब
शाम सवेरे मेरी गली के सौ सौ फेरे क्या मतलब
अच्छी सूरत जहाँ भी देखी डाले डेरे क्या मतलब
दिल भी देख लिया होता और फिर प्यार किया होता
तुम जैसे ही नाम वफ़ा का करते हैं बदनाम
याल्ला लू

पहले झुक कर करो सलाम फिर बतलाओ अपना नाम
अदब से बोलो क्या है नाम ओ मिस्टर गुलफ़ाम
याल्ला लू
पहले झुक कर करो सलाम

दिल के दरिया कितने गहरे नया खिलाड़ी क्या जाने
क्या होता है प्यार का जज़्बा कोई अनाड़ी क्या जाने
दिल के दरिया कितने गहरे नया खिलाड़ी क्या जाने
क्या होता है प्यार का जज़्बा कोई अनाड़ी क्या जाने
दिल घायल जब होता है प्यार जवां तब होता है
बहा बहा के फूल के आंसू भरता है ये जाम
याल्ला लू

पहले झुक कर करो सलाम फिर बतलाओ अपना नाम
अदब से बोलो क्या है नाम ओ मिस्टर गुलफ़ाम
याल्ला लू
पहले झुक कर करो सलाम
……………………………………………………..
Pehle jhuk kar karo salam-Doli 1969

Artist: Rajesh Khanna, Babita

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP