जो खुशी से चोट खाये-दिल-ए-नादान १९५३
सुनते हैं. उम्दा किस्म की कविता और शायरी
सुन लो तो दिल गार्डन गार्डन हो जाता है और
फिर एक सिलसिला सा शुरू हो जाता है बढ़िया
संगीत के टुकड़ों को सुनने और आनंद लेने का.
ये है तलत महमूद की आवाज़ में सन १९५३ की
फिल्म दिल-ए-नादान का गीत जिसे संगीतबद्ध
किया है गुलाम मोहम्मद ने.
गीत के बोल:
तेरी खातिर सितम दिल पे गवारा कर लिया मैंने
कहा किसने मुहब्बत से किनारा कर लिया मैंने
जो खुशी से चोट खाये
वो जिगर कहाँ से लाऊं
वो जिगर कहाँ से लाऊं
किसी और को जो देखे
वो नजर कहाँ से लाऊं
वो नजर कहाँ से लाऊं
जो खुशी से चोट खाये
मुझे तेरी आरज़ू है
मेरे दिल में तू ही तू है
मेरे दिल में तू ही तू है
बसे गैर जिसमें आ कर
मैं वो घर कहाँ से लाऊं
मैं वो घर कहाँ से लाऊं
जो खुशी से चोट खाये
तेरी बेरुखी पे सदके
तेरी हर अदा पे कुर्बां
तेरी हर अदा पे कुर्बां
करे और को जो सजदे
मैं वो सर कहाँ से लाऊं
मैं वो सर कहाँ से लाऊं
जो खुशी से चोट खाये
वो जिगर कहाँ से लाऊं
वो जिगर कहाँ से लाऊं
जो खुशी से चोट खाये
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Jo khushi se chot kha le-Dil-e-nadaan 1953
Artist: Talat Mehmood
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