ऐसा न हो के-आखिरी दांव १९७५
आखिरी दांव फिल्म से जिसे हसरत जयपुरी ने लिखा है.
गायक कलाकार हैं रफ़ी.
गीत जीतेंद्र पर फिल्माया गया है और गीत में नायिका
सायरा बानो के अलावा आप कुछ भेड़ें भी देख सकते हैं.
गीत हरियाली से भरपूर है और शानदार लोकेशंस पर
फिल्माया गया है. गीत के दूसरे अंतरे में एक बरात जा
रही है जिसमें आपको पोनी पे सवार दूल्हा दिखलाई
देगा. पोनी को दूर से देखो तो गधे जैसी नज़र आती है.
पहाड़ी इलाकों में सवारी के लिए पोनी का इस्तेमाल काफी
होता है.
गीत के बोल:
ऐसा न हो के इन वादियों में
मैं खो जाऊँ
ऐसा न हो के इन वादियों में
मैं खो जाऊँ
और तुम मुझे ढूँढा करो
और मैं कभी मिल न पाऊँ
ऐसा न हो के इन वादियों में
मैं खो जाऊँ
आई अगर मुझको नज़र
झीलों के झिलमिल दर्पण में तुम
आई अगर मुझको नज़र
झीलों के झिलमिल दर्पण में तुम
मिलने गले जाऊँगा मैं
खो जाऊँगा जलवों में गुम
और तुम मुझे आवाज़ दो
लौट कर मैं न आऊँ
ऐसा न हो के इन वादियों में
मैं खो जाऊँ
ये धुंध क्या जैसे धुआँ
मेरी ही आहों से पैदा हुआ
ये धुंध क्या जैसे धुआँ
मेरी ही आहों से पैदा हुआ
आशिक़ हूँ मैं वो दिलजला
लेकिन तुम्ही पे शैदा हुआ
देखा करो चारों तरफ़
और मैं कहीं छुप न जाऊँ
ऐसा न हो के इन वादियों में
मैं खो जाऊँ
और तुम मुझे ढूँढा करो
और मैं कभी मिल न पाऊँ
ऐसा न हो के इन वादियों में
मैं खो जाऊँ मैं खो जाऊँ
मैं खो जाऊँ
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Aise na ho ke-Akhiri daon 1975
Artists: Jeetendra, Saira Bano
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पॉकेट मार का गाना बन्दा परवर भी सुनवा दें
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