उन आँखों में नींद कहाँ-मिनिस्टर १९५९
दो तरीके हैं. वैसे आजकल मक्कारी का तरीका ज्यादा
पॉपुलर है. किसी बात को गहराई तक समझाने के
लिए गहरा गड्ढा खोदने की ज़रूरत तो नहीं होती.
संगीत जगत में राग रागिनियों वाले घुमावदार और
लच्छेदार गीत बहुतेरे हैं. आम आदमी को लच्छे
कुल्फी फ़ालूदा में ज्यादा भाते हैं बनिस्बत संगीत के.
पान में डालने वाली लच्छेदार सुपारी भी आम आदमी
खा लेता है आराम से.
जो जीवन के लच्छों में पहले से ही उलझा हुआ हो उसे
और क्या उलझाना. सिनेमा एक माध्यम है मनोरंजन
का, सन्देश देने का तो व्यक्ति विशेष या समूह की
भड़ास निकालने का माध्यम भी है. आर्ट से फार्ट तक
सब मिल जायेगा आपको.
छोड़ें ये सब और बात करें आज के गीत की. सन १९५९
की फिल्म मिनिस्टर से लता मंगेशकर का गाया एक
गीत सुनते हैं जो सरल और सहज है. सुनने में सहज
लगता अवश्य है मगर इसे परफेक्टली गुनगुनाने के
लिए आपको थोडा बहुत संगीत का ज्ञान आवश्यक है.
राजेंद्र कृष्ण की रचना है और मदन मोहन का संगीत.
इसे रूप्माला नामक अभिनेत्री पर फिल्माया गया है.
गीत के बोल:
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
आ आ आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ
उन आँखों में नींद कहाँ
जिन आँखों से प्रीतम दूर बसे
उन आँखों में नींद कहाँ
जिन आँखों से प्रीतम दूर बसे
चैन कहाँ से पाये वो दिल
जिसका बसिया पास न हो
चैन कहाँ से पाये वो दिल
जिसका बसिया पास न हो
हार सिंगार भी ज़हर लगे उसे
जिसका रसिया पास न हो
बहते आंसू उनके जुबां
जिन आँखों से प्रीतम दूर बसे
उन आँखों में नींद कहाँ
जिन आँखों से प्रीतम दूर बसे
लाख बहारें झूम के आयें
डाली डाली फूल खिलें
लाख बहारें झूम के आयें
डाली डाली फूल खिलें
मेरे मन की कलि खिले जब
मुझसे प्रीतम आन मिले
वो क्या देखें मस्त समा
जिन आँखों से प्रीतम दूर बसे
उन आँखों में नींद कहाँ
जिन आँखों से प्रीतम दूर बसे
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Un aankhon mein neend kahan-Minister 1959
Artist: Roopmala
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